बालिका गृह महा-रेपकांड के लपेटे में आने के बाद मंत्री मंजू वर्मा गायब

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : अपने पति चंद्रशेखर के मुजफ्फरपुर बालिका गृह महा-रेपकांड के लपेटे में आने के बाद समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा अचानक गायब हो गई हैं. सिटी पोस्ट लाइव की टीम जब बुधवार की सुबह मंत्री के आवास पर पहुंची तो पाया कि मंत्री के आवास पर लोगों की बात तो छोडिये एक कुता भी नजर नहीं आ रहा है. केवल एक सिपाही भूत बंगला बने मंत्री के आवास की निगरानी कर रहा है. यहाँ कोई ये बतानेवाला भी नहीं कि मंत्री जी कहाँ हैं.

दरअसल, कल जब से उनके और उनके पति के मुजफ्फरपुर बालिका गृह महा-रेपकांड के प्रमुख अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर के बीच का संबंध उजागर हुआ है, मंत्री पूरी तरह से घेरे में आ गई हैं. उसके बाद से डर से न तो कोई उनसे मिलने आ रहा है और ना ही मंत्री घर पर मौजूद हैं. मंत्री से फोन पर भी संपर्क नहीं हो पा रहा है. मंत्री के घर को भूत बंगला बनने से केवल मीडियाकर्मी बचाए हुए हैं. सुबह से मीडियाकर्मी मंत्री के घर के बाहर इंतज़ार कर रहे हैं. मंत्री के आवास के गेट पर अंदर से ताला जड़ दिया गया है. न कोई उससे बाहर आ रहा है और ना ही कोई अंदर जा पा रहा है.

गौरतलब है कि ब्रजेश ठाकुर के फोन के सीडीआर से यह खुलासा हुआ है कि जनवरी से जून के बीच मंत्री और उनके पति के साथ 17 बार बातचीत हुई है. यानी  बालिका गृह स्कैंडल सामने आने के बाद भी ब्रजेश ठाकुर मंत्री और उनके पति के संपर्क में था. इतना ही नहीं ब्रजेश ठाकुर के चार चालाक ने यह भी खुलासा किया है कि ब्रजेश ठाकुर के साथ मंत्री के पति अक्सर दिल्ली भी जाया करते थे. इस खुलासे के बाद विपक्ष और भी हमलावर हो गया है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस खुलासे के बाद मंत्री अपने क्षेत्र में भाग गई हैं. सूत्रों के अनुसार मंत्री अपने पक्ष में अपने समाज के लोगों को अपने अब्चाव में सड़क पर उतारने की तैयारी में जुटी हैं.

गौरतलब है कि मंत्री लपेटे में आने के बाद भी अपना अपराध कबूलने को तैयार नहीं हैं. सिटी पोस्ट को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि  मैं मंत्री हूं तो कई बार मेरी जगह मेरे पति भी फ़ोन रिसीव करते थे . मंत्री के इस जवाब से ही यह साफ़ हो गया है कि मंजू वर्मा नाम की मंत्री थी, असली मंत्री उनके पति ही थे. उनके पति ही समाज कल्याण विभाग को हांक रहे थे . ब्रजेश वर्मा के साथ न सिर्फ फ़ोन पर रेगुलर संपर्क था, बल्कि साथ में सैर-सपाटे को बिहार से बाहर भी जाते थे .

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