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मध्याहन भोजन योजना -केवल बोरे गायब हुए या फिर बोरे के साथ अनाज गायब हुआ

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सिटीपोस्टलाईव:पहले तो शिक्षक मध्याहन भोजन ही चाट कर जाते थे लेकिन अब तो ये खबर आई है कि उन्होंने मध्याहन भोजन के लिए आये आनाज ही नहीं बल्कि उसके बोरे  भी चट कर गए हैं. समस्तीपुर जिले से आ रही रिपोर्ट के अनुसार  2571 प्रारंभिक स्कूलों में एमडीएम( मध्याहन ) के 82,27,200 खाली बोरे का गायब हो गए हैं.अब सवाल ये भी उठ रहा है कि केवल बोरे ही गायब हुए या फिर अनाज समेत बोरे गायब हो गए .प्रधानाध्यापक जबाब नहीं दे रहे और डीएम साहब शिक्षा पदाधिकारियों से बोरे का हिसाब मांग रहे हैं. गायब बोरे की अनुमानित कीमत करीब 1.5 करोड़ रुपये है फिर अंदाजा लगाइए अगर इनमे से आधे बोरे भी अगर अनाज के साथ गायब हुए होंगें तो उसकी कीमत क्या होगी ? सैकड़ों करोड़ . सरकार के पास ये देखने का टाइम तो है नहीं कि मध्याहन भोजन के लिए भेजे गए अनाज का क्या हुआ लेकिन उसे 10 साल बाद अनाज के बोरे  की चिंता अब होने लगी है. जिला शिक्षा पदाधिकारी से 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगा गया है जिसको लेकर जिले के शिक्षा महकमा में हड़कंप मच गया है.

सिटीपोस्टलाइव की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा विभाग के पास दस साल के खाली बोरे का रिकॉर्ड ही नहीं है. इसको लेकर तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं. अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों के प्रधानाध्यापक बोरे लौटाए ही नहीं. जबकि मौजूदा प्रधानाध्यापकों का कहना है कि उनके कार्यकाल का यह मामला नहीं है,इसलिए उन्हें कोई जानकारी ही नहीं.सरकार की सख्ती देख स्कूल व शिक्षा विभाग के बीच बोरे के हिसाब के लिए जद्दोजहद शुरू हो गई है.जिले में 2005 से एमडीएम संचालित है और तब से लेकर 2015 तक के खाली बोरे का कोई लेखा-जोखा नहीं है.

बताया जाता है कि स्कूलों में चावल का आवंटन जूट के बोरे में भरकर किया जाता है. एक बोरे चावल का भार 50 किलोग्राम होता है जिसका मूल्य 20 रुपये आंका जाता है. इस तरह 82,27,200 बोरे की कीमत 1 करोड़ 43 लाख 7 हजार 200 रुपये बताई गई है.

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