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जनपद के लाल ने दिया बलिदान, तीन आतंकवादियों को उतारा मौत के घाट

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सिटी पोस्ट लाइव, मुजफ्फरनगर: जनपद के लाल का कश्मीर घाटी में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान बलिदान होने का समाचार मिलने से शोक की लहर फैल गयी है। प्रदेश सरकार के मंत्री कपिलदेव ने कहा कि शहीद प्रशांत के परिजनों को मिलेंगे 50 लाख, सरकारी नौकरी, नाम से सड़क बनेगी। नगर  के शामली रोड़ पर बुढ़ाना मोड़ निवासी प्रशांत शर्मा के कश्मीर में शहीद होने का समाचार मिलने पर नगर में शोक छा गया। प्रशांत शर्मा के परिजन मूल रूप से बागपत जनपद के गांव बिजरौल के निवासी हैं। प्रशांत के पिता शीशपाल शर्मा सेना में नायक के पद से सेवा निवृत्त हुए थे। मूलतः बिजरौल बागपत के निवासी शीशपाल शर्मा सेना में नायक के पद से सेवा निवृत्त हुए थे। उनका परिवार काफी पहले यहां आ गया था और लंबे समय से बुढ़ाना मोड़ पर ही रह रहा था। प्रशांत को जांबाजी विरासत में मिली और पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए वे 2017 की भर्ती में सेना में चुने हुए थे। कल रात पुलवामा में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के बाद सेना ने वहां सर्च ऑपरेशन चलाया हुआ था। इस दौरान अपनी वीरता का परिचय देते हुए प्रशांत ने तीन आतंकियों को अपनी गोलियों से मौत के घाट उतार दिया। इसी दौरान आतंकियों की फायरिंग में प्रशांत को तीन गोलियां लगीं और वह गम्भीर रूप से घायल हो गए और अपनी वीरगति काे प्राप्त हो गए। परिजनों के अनुसार 22 वर्षीय शहीद प्रशांत शर्मा का 25 दिसम्बर 98 को सेना नायक शीशपाल के परिवार में पैदा हुए। इसके बाद पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए उन्होंने सेना में भर्ती होने का फैला किया।

अभी तक वह अविवाहित थे। इसी साल 6 दिसम्बर को उनकी शादी होनी तय हुई थी। उनकी शादी की तैयारियां चल रही थीं और परिवार के लोग उनके छुट्टी लेकर घर आने का इंतजार कर रहे थे कि कल प्रशांत ने अपने देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे दिया। प्रशांत के छोटे भाई निशांत शर्मा के अनुसार सेना के अधिकारियों ने परिवार को इसकी सूचना देते हुए बताया कि प्रशांत ने बलिदान देने से पूर्व तीन आतंकियों को मुठभेड़ में अपनी गोलियों का निशाना बनाया। इसी दौरान आतंकवादियों की जवाबी गोलियां शहीद प्रशांत शर्मा के सीने पर लगी और उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। शहीद प्रशांत का का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया जा रहा है। इसके बाद कल सुबह उनका पार्थिव शरीर उनके आवास बुढ़ाना मोड़ मुजफ्फरनगर पहुंचेगा। काली नदी श्मशान घाट पर ही पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद प्रशांत का अंतिम संस्कार किया जाएगा। परिजनों में उनके बलिदान पर शोक है, लेकिन इस बात का गर्व है कि उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया है।

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