सिपाहियों के निलंबन को लेकर BMP DGP के आदेश से झारखण्ड पुलिस में बवाल
सिटी पोस्ट लाइव (सूरज कुमार,रांची ) : बीएमपी के डीजीपी श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय के इस आदेश के बाद कि कोई भी (बीएमपी) बिहार सैन्य पुलिस का अधिकारी बीएमपी के सिपाहियों और कनीय अधिकारियों को उनके खिलाफ लगे आरोपों की सत्यता की जांच के वगैर निलंबित नहीं करेगा, बिहार और झारखण्ड में भी इसी तरह के आदेश किये जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. गौरतलब है कि बीएमपी के डीजीपी के इस आदेश से बिहार सैन्य पुलिस बल के सिपाही तो खुश हैं ही साथ ही बिहार पुलिस और झारखण्ड पुलिस की तरफ से भी ऐसी ही मांग उठने लगी है.
श्री पाण्डेय के फेसबुक पर बिहार और झारखण्ड पुलिस के हजारों जवान और अधिकारी अपना कमेन्ट दे रहे हैं. उनके आदेश का स्वागत कर रहे हैं. उनका कहना है कि सिपाहियों के सर पर हमेशा निलंबन की तलवार लटकती रहती है. बीएमपी डीजीपी के इस आदेश से उन्हें बहुत राहत मिली है. अब वो निश्चिन्त होकर अपनी ड्यूटी कर पायेगें. झारखण्ड पुलिस संघ ने ऐसे ही प्रावधान की मांग शुरू कर दी है. उनका कहना है कि डीजीपी के इस नए आदेश के बाद बीएमपी के सिपाही और कनीय अधिकारी निलंबन के भय से मुक्त हो गए हैं. अब उन्हें निलंबित करने का वाजिब कारण उनके वरीय अधिकारियों को बताना पड़ेगा. उनके ऊपर लगे आरोपों की सत्यता की जांच के वगैर बड़े बाबू उन्हें निलंबित नहीं कर पायेगें.
बीएमपी के डीजीपी श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय के आदेश के अनुसार पुलिसकर्मियों पर लगने वाले छोटे-छोटे आरोपों के बाद उन्हें निलंबन पर अब पाबंदी रहेगी. बिहार सैन्य पुलिस में अब आरोप की प्रकृति और गंभीरता के आकलन के बाद ही निलंबन या विभागीय कार्रवाई करने का निर्णय लिया जाएगा. बिहार सैन्य पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पाण्डेय ने बताया कि छोटे-छोटे आरोपों में अपने अधीनस्थ सिपाही एवं हवलदार कोटि के पुलिसकर्मियों को, उनके आरोप की प्रकृति एवं गंभीरता का आकलन किए बगैर निलंबन या विभागीय कार्यवाही प्रारंभ करने का निर्णय ले लिया जाता है. जिससे पुलिसकर्मियों के मनोबल में गिरावट और उनकी कार्यशैली कमजोर हो जाती है.
इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार सैन्य पुलिस के डीजीपी ने सभी पदाधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है कि निलंबन उसी अवस्था में होनी चाहिए, जब कोई कर्मी ऐसा कार्य करे जिसके लिए उन्हें कठोर सजा देने योग्य हो. छोटी-छोटी गलतियों के लिए निलंबन की कार्रवाई उचित नहीं है. इन छोटे-छोटे मामलों का निष्पादन शास्तिका कक्ष में किया जाना चाहिए. आदेश में पदाधिकारियों को आगे से इस बात का ध्यान रखने को कहा गया है. ताकि पुलिसकर्मियों के मनोबल में गिरावट ना आए.