रोहतास में अवैध बालू खनन और ओवर लोडिंग का खेल जारी, प्रशासन की चांदी ही चांदी

City Post Live - Desk

रोहतास में अवैध बालू खनन और ओवर लोडिंग का खेल जारी, प्रशासन की चांदी ही चांदी

सिटी पोस्ट लाइव : अवैध बालू खनन और ओवर लोडिंग सरकार खजाना भरे या ना भरे लेकिन अधिकारियों एवं पुलिस प्रशासन के खजाने को पूरी तरह से भर रही है. जिस अधिकारी को सरकार ने सरकारी राजस्व को बचाने एवं उसकी रक्षा करने के लिए नियुक्त किया है, आज वही अधिकारी बालू माफिया से गठजोड़ कर सरकारी राजस्व एवं प्राकृतिक सम्पदा को क्षति पहुंचा कर अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं. रोहतास जिले में इन दिनों बालू ओवर लोडिंग का काला खेल खुलेआम चल रहा है. बिना किसी डर भय के और अधिकरी की मिली भगत से रोहतास जिले में सोंन नदी में लगभग पांच घाट वैध और 7 अवैध घाट चल रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी खनन अधिकारी को नहीं है, लेकिन माफियाओं से मिलने वाले नजराने के आगे सब सही है. खनन विभाग से जारी निर्देश का एक प्रतिशत भी स्थानीय खनन अधिकारी और बालू माफिया पालन नहीं करते हैं. जिसका नतीजा यह है की सरकारी सम्पदा को बेहिसाब लुटा जा रहा है और कोई रोकने टोकने वाला नहीं है.
सरकारी मानक की बात करे तो निर्धारित घाटो पर वजन करने के लिए धर्मकांटा, सीसीटीवी कैमरा, खनन करने के लिए नाप तौल की व्यवस्था रहना जरुरी है. लेकिन ये सारी चीजे नदारद है. इतना ही नहीं जो कीमत सरकार के खनन विभाग से निर्धरित किया गया है. उससे तीन गुना ज्यादा वसूला जा रहा है. वो भी अधिकारी के मिली भगत से. सरकारी दर की बात करें तो 10 चक्का ट्रक 4200 सौ रूपये जबकि वसूला जाता है 12000, 12 चक्का ट्रक-5250 वसूली 15 हजार, 14 चक्का ट्रक-सरकारी दर  6200 वसूला जाता है 22 हजार रुपये उसके बाद चेक पोस्ट के नाम पर तो अनगिनती कई तरह के अवैध वसूली की जाती है. इसके बाद यही बालू आम जनता को काफी महंगी कीमतों में मिल पता है.
हद तो तब हो जाती है जब सुचना के बाद भी कोई करवाई नहीं होती जबकि पुलिस से लेकर जिला अधिकारी तक इस बात को जानते हैं, लेकिन कार्रवाई तो दूर कभी जाँच पड़ताल भी नहीं किया जाता है, तो कभी कभी खानापूर्ति के नाम पर कुछ ओवर लोडिंग ट्रक को जब्त कर फाइन कर काम पूरा कर दिया जाता है. सवाल यह है की जब खदान से ही ओवर लोडिंग बिना किसी रोक टोक के मिल जाता है तो किसी को क्या दिक्कत है. जब ओवरलोडिंग ट्रकों का काफिला निकलता है तो जाम की बड़ी भयानक समस्या उत्पन्न हो जाती है और जन माल दोनों की क्षति हो जाती है. पिछले डेढ़ माह में बालू लदे ट्रकों से 15 लोगों की मौत और करीब 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं. जिस खनन विभाग के जिला अधिकारी की न्यूतम कार्यकाल 3 सालों का होता है वो आज 5 साल से आशन जमा कर बैठे हुए हैं. आखिर क्यों ? ये भी एक बड़ा सवाल.
पुलिस अधीक्षक सत्यवीर सिंह ने कर्रवाई करते हुए, खनन निरीक्षक सहित 6 लोगो पर FIR किया गया. लेकिन उससे भी कोई प्रभाव इन अधिकारियो पर नहीं पड़ी. तो सवाल ये उठता है कि रोहतास पुलिस भी ये बात मान रही है कि खनन के पदाधिकारी और बालू माफिया का आपसी गठजोड़ काफी गहरा है, तभी तो रोहतास पुलिस अधीक्षक द्वारा खनन के अधिकारियों पर FIR दर्ज कर दी गयी है. वैसे भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार सरकार जीरो टॉलेन्स पर काम कर रही है और आये दिन अपनी सभी सभाओं में कहते फिरते हैं कि भ्रष्टाचार से कोई समझौता किसी भी कीमत पर नहीं किया जा सकता, नीतीश सरकार ने भ्रष्टाचार पर कई बड़ी कार्रवाइयां भी की है लेकिन रोहतास में ये कुछ दिखता नज़र नही आ रहा है. इन अधिकारीयों द्वारा बिहार सरकार को बदनाम करने की साजिश तो नही रची जा रही है।
जब इस ओवर लोडिंग ट्रक चालको से पूछा गया तो बेचारे अनेक मज़बूरी गिनाये. उन लोगो ने बतया की उनसे अवैध वसूली किया जाता है जिस वजह से उन्हें ओवर लोडिंग ढोने पर मजबूर होना पड़ता है. जब इस सम्बन्ध में जिला खनन पदाधिकारी से पूछा गया तो वे झेंप गए और कैमरा के सामने से भागते नजर आये. बरहाल जो भी हो लेकिन रोहतास में इन दिनों छोटे से बड़े पदाधिकारियों की पांचो ऊँगली घी में है. बालू रूपी लक्ष्मी इतना आशीर्वाद इन अधिकारियों पर बनाई हुई है कि इन लोगों का मन इस जिले को छोड़ कर कहीं जाने का मन नहीं कर रहा है और उपर तक अपनी रसूख के बल पर जमे रहते है. यही नहीं विभाग के निर्देशों के बाद भी बालू माफियाओं और खनन अधिकारी के मिली भगत से सरकारी इन्द्रपुरी थाना क्षेत्र, चकनवा घाट से सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध रूप से धर्मकांटा का निर्माण व बालू स्टाक किया जा रहा है. सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता ने इसकी शिकायत जिला खनन अधिकारी से लिखित तौर पर की है. उसके बावजूद भी जबरदस्ती बालू स्टाक किया जा रहा है.
इनके निर्भीकता के बात तो तब आती है की डेहरी थाना के मकराइन घाट को नगरपरिषद क्षेत्र होने के कारण विभाग द्वारा बंद कर निर्देश निर्गत किया गया था. इसके बाद भी खनन अधिकारी के मिली भगत से इस घाट को खुलेआम चलाया जा रहा है. सवाल ये उठता है की जिला प्रशासन और सरकारी तन्त्र से बालू माफिया को कोई भी डर नहीं है? या जिला खनन विभाग को बालू माफिया ही संचालित कर रहे हैं? आखिर इन सब चीजो पर सुशासन बाबू क्यों चुप है? जनता कब तक दुगनी चौगुनी दामों पर बालू खरीदने को मजबूर रहेगी, पाँच साल से एक ही पदाधिकारी क्यों बने हुए हैं? कई ऐसे सवाल हैं जो जनता कई वर्षों से ढूंढ रही है.
रोहतास से विकाश चन्दन की रिपोर्ट 
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