कार्तिक कुमार की जमानत याचिका पर हुई सुनवाई.

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सिटी पोस्ट लाइव : RJD एमएलसी पूर्व कानून मंत्री कार्तिक कुमार की जमानत याचिका पर आज पटना हाई कोर्ट में सुनवाई हुई.एमएलसी ने अपने ऊपर बिल्डर के अपहरण के लगे आरोप के मामले में पूर्व मंत्री ने राहत के लिए गुहार लगाई थी.उन्‍होंने खुद के बेकसूर होने का दावा किया है.इस मामले में पटना हाई कोर्ट ने पुलिस से केस डायरी मांगी है. निचले न्‍यायालय ने इस मामले में एमएलसी के खिलाफ वारंट जारी किया था. हालांकि बाद में कोर्ट ने एक निश्‍च‍ित तारीख तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. इस तारीख के बाद पटना पुलिस ने वारंट कोर्ट को वापस कर दिया. पटना पुलिस का दावा है कि एमएलसी के खिलाफ गैर जमानती वारंट के लिए गुहार लगाई जाएगी. निचली अदालत में पिछली कुछ तारीख पर इस मामले की सुनवाई ही नहीं हो सकी.

एमएलसी ने पटना हाइकोर्ट में अग्र‍िम जमानत के लिए अर्जी लगाई है. हाई कोर्ट ने बिहार के पूर्व कानून मंत्री व विधान पार्षद कार्तिकेय कुमार ऊर्फ कार्तिक सिंह की अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए केस डायरी तलब की है.बिहार सरकार के पूर्व कानून मंत्री और राष्‍ट्रीय जनता दल के विधान पार्षद कार्तिकेय कुमार ऊर्फ कार्तिक सिंह अपहरण के एक मामले में आरोपित हैं. इसी वजह से उन्‍हें बिहार सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद एक सप्‍ताह के अंदर इस्‍तीफा देना पड़ गया. न्यायाधीश सुनील कुमार पंवार की एकलपीठ इस अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई कर रही है.

कार्तिक सिंह बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व विधायक अनंत सिंह के करीबी हैं. अनंत सिंह का खास होने के कारण ही राजद ने उन्‍हें एमएलसी उम्‍मीदवार बनाया और वे जीते भी. बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्‍व में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद उन्‍हें कानून मंत्री बनाया गया, तो विपक्ष ने हल्‍ला खड़ा कर दिया.इस संबंध में सूचक सचिन कुमार ने बिहटा थाना में 14 नवंबर, 2014 को कांड संख्या 859/2014 दर्ज कराया था. सूचक ने प्राथमिकी में बताया था कि उन्हें फोन पर सूचना मिली कि उनके चाचा राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह का कुछ अपराधियों ने अपहरण कर लिया है. अपहरण को अंजाम देने वाले अपराधी 18 की संख्या में पांच स्कॉर्पियो गाड़ी में सवार होकर आए और ज़ोर ज़बरदस्ती कर राजू का अपहरण कर लिया.

प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया कि मोकामा के विधायक अनंत सिंह, बंटू सिंह समेत अन्य 16 व्यक्तियों ने इसे अंजाम दिया. घटना को अंजाम देने से पहले उन्होंने दस करोड़ रुपए की फिरौती माँगी थी, जिसकी सूचना कृष्णापुरी थाने को भी दी गई थी. सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता पीके शाही उपस्थित हुए. याचिकाकर्ता की ओर से यह बताया गया कि प्राथमिकी में वे नामजद आरोपी नहीं हैं.इसके साथ ही पीड़ित और सूचक ने उनका नाम इस घटना के संबंध में नहीं लिया था. उन्होंने बताया कि घटना के दिन 14 नवंबर, 2014 की है, जब वे सरकारी स्कूल में अपनी ड्यूटी में थे. उनका हस्ताक्षर भी स्कूल के रजिस्टर में अंकित है. जमानत याचिका में बताया गया है कि उनके विरुद्ध जो अन्य आपराधिक मामलें है, जिसमें वह जमानत पर है.

पटना हाईकोर्ट ने कार्तिकेय कुमार की अग्रिम जमानत को 16 फरवरी, 2017 में ख़ारिज कर दिया था. उनकी ओर से बताया गया था कि वे इस केस में वो नामजद आरोपित नहीं हैं. लेकिन, पुलिस की जांच में उनका नाम सामने आया था, हालांकि, बाद में पुलिस ने अपनी जांच में से उनका नाम हटा दिया था. इस मामले की अगली सुनवाई दिवाली की छुट्टियों के बाद होगी.

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