RJD के पूर्व सांसद सरफराज आलम को जेल की सजा.

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सिटी पोस्ट लाइव :RJD के पूर्व सांसद, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सरफराज आलम को जेल की हवा खानी पड़ रही है.अररिया के स्पेशल एमपी, एमएलए कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. उनके खिलाफ 1996 में दराज अपहरण के मामले में कोर्ट से वारंट जारी किया था.जब फिर भी वो हाजिर नहीं हुए तो उनके खिलाफ कुर्की जब्ती का भी आदेश जारी हुआ था. इस मामले में सरफराज आलम 26 साल से फरार चल रहे थे.

 

मंगलवार को 26 साल पुराने अपहरण के मामले में सुनवाई करते हुए अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम सह स्पेशल एमपी, एमएलए कोर्ट के जज ने सरफराज आलम को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दे दिया.गौरतलब है कि बुधवार को इस मामले को लेकर पूर्व सांसद के अधिवक्ता ने जमानत की अर्जी दी थी, लेकिन जज ने उनके आपराधिक इतिहास की मांग करते हुए मामले की अगली सुनवाई की तिथि 9 जनवरी को मुकर्रर कर दी है.

 

भरगामा प्रखंड के सिरसिया कला निवासी शंकर कुमार झा उर्फ सकल झा ने सरफराज आलम सहित चार पांच अज्ञात लोगों के खिलाफ अररिया थाना में अपहरण करने का मामला दर्ज करवाया था. 15 मई 1996 को वे पथ प्रमंडल अररिया के इंजीनियर नवीन कुमार सिंह के अररिया एडीबी चौक स्थित आवास पर सोए थे. चूंकि नवीन पूर्णिया चले गए थे उनके पत्नी व बच्चे अकेले थे, इसलिए वे उनके घर में सोए थे. इसी दौरान सरफराज आलम चार पांच लोगों के साथ बाइक से आ धमके और गाली गलौच व धक्का-मुक्की मारपीट करते हुए उन्हें बाइक पर बिठाकर उनका अपहरण कर लिया.

 

आरोप था कि इसके बाद उन्हें बाइक से चरघरिया स्थिति नदी के पास ले जाया गया जहां उन्हें कोई मारने की धमकी दे रहा था तो कोई छोड़ देने की बात कर रहा था. लेकिन, बाद में उन्हें सही सलामत बाइक से टाउन हॉल के पास छोड़ दिया गया था. सरफराज आलम दो बार जिला जज के न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर चुके हैं. दोनों ही बार अर्जी को खारिज कर दी गई जिसके बाद उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में अभी अर्जी दाखिल की जो अभी लंबित है.

 

पूर्व सांसद सरफराज आलम के खिलाफ 26 साल पुराने अपहरण के मामले के साथ-साथ चार अन्य मामले भी अलग-अलग थानों में दर्ज हैं. यह मामला भी न्यायालय में लंबित है. अलग-अलग चुनाव में मतदान केंद्रों पर बवाल करने, पब्लिक मूवमेंट बनाने व पर कब्जा करने का प्रयास करने को लेकर उनके खिलाफ अन्य मामले भी न्यायालय में लंबित हैं.

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