सिटी पोस्ट लाइव :बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत केस की CBI जांच के फैसले को लेकर अगर सबसे ज्यादा कुश है तो वह है बिहार पुलिस और उसके मुखिया श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय.गौरतलब है कि एक तरफ तो डीजीपी ने आधिकारिक घोषणा कर चार अधिकारियों की टीम को जांच के लिए मुंबई भेंजा दूसरी तरफ चुपके से पांच ख़ुफ़िया विभाग के अधिकारियों को भी मुंबई रवाना कर दिया. आधिकारिकरूप से जांच करने गए बिहार हार पुलिस की ख़ुफ़िया टीम ने मुंबई जाकर जो कुछ किया उसे मुंबई पुलिस भी नहीं देख पाई.
डीजीपी की ख़ुफ़िया टीम ने कमाल कर दिया.मुंबईकी पुलिस टीम के साथ मुंबई पुलिस ने क्या किया पुरे देश ने देखा लेकिन मुंबई पुलिस की आँख में धुल झोंक कर बिहार पुलिस की ख़ुफ़िया टीम ने 12 गवाहों का बयान दर्ज कर लिया.सुशांत के बैंक डिटेल्स को भी अपने कब्जे में ले लिया.इसी टीम की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि सुशांत सिंह ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उनकी हत्या की शाजिस की गंध आ रही है.पटना पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने भी CBI को जांच आगे बढाने के लिए हरी झण्डी दे दी.जाहिर है बिहार पुलिस की वजह से ही सुशांत सिंह केस का CBI जांच मुमकिन हो पाया.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यह माना है कि पटना पुलिस की जांच सही दिशा में थी. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को सीबीआई के जिम्मे देने का फैसला सुनाया है.डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि यह बहुत हाई प्रोफाइल केस है. कई लोगों को पोल खुल जाने का डर सता रहा है. ऐसे में सीबीआई की जांच में सबकुछ सच सामने आएगा. वहीं, रिया चक्रवर्ती के बयानबाजी पर डीजीपी ने कहा कि बिहार के सीएम पर कमेंट करने की औकात रिया चक्रवर्ती की नहीं है.
गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि यह सत्य की जीत है. बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती की हैसियत नहीं है कि वो बिहार से सीएम नीतीश कुमार पर टिप्पणी करें. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की जांच का अधिकार CBI को दिया है. लंबे वक्त से सुशांत का परिवार और उनके फैंस सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में दर्ज FIR को सही ठहराया है. साथ ही मुंबई पुलिस को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पटना में जो एफआईआर दर्ज की गई है वो कानून सम्मत है. इस फैसले के बाद महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा कि हम फैसले को चुनौती देंगे. इस पर कोर्ट ने कहा कि यह 35 पेज का जजमेंट है. पहले आप इसको पढ़िए. हमने हर पहलुओं का बारीकी से अध्ययन करने के बाद फैसला सुनाया है.