पुलिस की सख्ती के बावजूद जारी है अवैध विस्फोटकों की तस्करी

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पुलिस की सख्ती के बावजूद जारी है अवैध विस्फोटकों की तस्करी

सिटी पोस्ट लाइव, पाकुड़: जिले में अवैध विस्फोटकों की तस्करी कोई नई बात नहीं है। जिले के पत्थर औद्योगिक क्षेत्र मालपहाड़ी, रदीपुर, सिदपहाड़ी, सुन्दरापहाड़ी आदि जगहों पर संचालित अधिकांश पत्थर खदानों में इन्हें वर्षों से खपाये जाने की अघोषित परंपरा-सी बनी हुई है। पुलिस की सख्ती के बावजूद यह धंधा बदस्तूर जारी है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक इसी वर्ष जनवरी से अबतक अलग-अलग क्षेत्रों से छह बार अवैध विस्फोटक पकड़े गए हैं। वहीं इसमें संलिप्त पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया है। गिरफ्तार लोगों को पुलिस भले ही तस्कर बता रही है लेकिन सच्चाई सच्चाई यह है कि गिरफ्तार सारे लोग महज कुरियर हैं। जो चंद पैसों की खातिर विस्फोटकों को गंतव्य तक पहुंचाने का काम करते हैं। उल्लेखनीय है कि गत नौ फरवरी को मालपहाड़ी ओपी क्षेत्र के सीतागढ़ गांव के पास छापेमारी कर 150 पीस डेटोनेटर के साथ सदर प्रखंड के कदमसार के फैयाजुद्दीन शेख को गिरफ्तार किया था। वह नूर स्टोन वर्क्स में विस्फोटक पहुंचाने जा रहा था। 11 फरवरी को हिरणपुर थाना क्षेत्र के देवपुर गांव में बजरंगबली मंदिर के पास छापेमारी कर दो बोरा अमोनियम नाइट्रेट के साथ शहरूद्दीन अंसारी को गिरफ्तार किया गया था। उसी दिन पाकुड़िया थाना क्षेत्र के तिरिलडीह गांव में राजेन मुरमू के घर छापेमारी कर पुलिस ने 280 बोरा अमोनियम नाइट्रेट और 150 पीस जिलेटीन बरामद किया था। 31 मार्च की रात मालपहाड़ी ओपी क्षेत्र के पाथरघाटा गांव के पास 194 पीस नियोजेल पकड़ा था। हालांकि इस घटना में संलिप्त व्यक्ति पुलिस को चकमा देकर भाग निकला। 19- 20 अप्रैल की रात पाकुड़िया पुलिस ने डोमनगड़िया गांव के पास 23 क्विंटल अवैध विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट लदे हाइवा को जब्त किया गया। हालांकि तलाशी के दौरान हाइवा चालक और खलासी भाग निकले। पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे पाकुड़ जिले की पत्थर खदानों में विस्फोट के लिए इन्हें खपाया जाता है। अवैध विस्फोटकों के खरीदार सिर्फ वैसे पत्थर खदान संचालक ही नहीं हैं, जिनके पास विस्फोटक लाइसेंस नहीं है। बल्कि विस्फोटक लाइसेंसधारी खदान संचालक भी इसके खरीदार हैं। जानकारी के मुताबिक सरकारी स्तर से आपूर्ति किए जाने वाले विस्फोटकों की तुलना में ये न सिर्फ सस्ते होते हैं, बल्कि इनकी विस्फोटक क्षमता भी अधिक होती है। यही वजह है कि पुलिस की लाख सख्ती के बावजूद यह धंधा बदस्तूर जारी है। इन मामलों में आज तक पुलिस असली विस्फोटक तस्कर को गिरफ्तार करना तो दूर उसके ठिकाने तक भी नहीं पहुंच पायी है। तस्कर के नाम पर पुलिस उनके गुर्गे या कुरियर को ही गिरफ्तार करती रही है। पुलिस ने गिरफ्तार कथित तस्कर के बयान के बाद किसी पत्थर खदान संचालक से पूछताछ भी नहीं की। 

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