त्रिवेणीगंज सरकारी अस्पताल में सफाईकर्मी करते हैं सर्जरी और इलाज. डॉक्टर करते हैं घर या अपने निजी क्लीनिक में आराम
सुपौल से बिष्णु गुप्ता की रिपोर्ट
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में लगातार अस्पतालों पर सवाल खड़े हो रहे हैं. कभी सुरक्षाकर्मी डॉक्टर बन इलाज़ करते हैं तो कभी इलाज़ के बिना मरीज मर रहे हैं. अब इन परिस्थितियों के लिए जिम्मेवार किसे ठहराया जाए. एक तरफ डॉक्टर की कमी तो दूसरी ओर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़. ऐसी स्थिति में मरीजों से ज्यादा अस्पतालों को इलाज़ की जरूरत महसूस होती है. ताजा मामला बिहार के सुपौल का है, जहां सफाईकर्मी ही डॉक्टर बने हुए हैं और डॉक्टर साहब अपने प्राइवेट क्लिनिक में मग्न हैं। बताया जाता है कि त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र के लहरनियां में बाइक से बाइक की आमने सामने की टक्कर में बजरंग यादव बुरी तरह घायल हो गया था। जिसे ग्रामीणों की सहयोग से आनन फानन में त्रिवेणीगंज अनुमंडल अस्पताल के इमेरजेंसी में लाया गया। घायल के इलाज के लिए एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं थे। घायल मरीज का ईलाज एक सफाई कर्मचारी से किया जा रहा था। सफाईकर्मी के इलाज के दौरान मरीज जोर-जोर से चिल्ला रहे थे, वही जल्लाद सफाईकर्मी टांका और सर्जरी करते रहे और नर्स सफाईकर्मी का सहयोग करते दिखे। जानकारी अनुसार अनुमंडलीय अस्पताल में मौजूद सफाई कर्मचारी हो या सुरक्षाकर्मी, यही लोग इमरजेंसी केस सॉल्व करते हैं। क्योंकि डॉक्टर साहब तो गायब रहते हैं।अस्पताल के गार्ड का कहना है कि डॉक्टर साहब आते हैं पर खुद का निजी क्लिनिक होने के कारण अस्पताल में समय नहीं दे पाते हैं। यह मामला साफ तौर पर गैरजिम्मेदाराना है, सरकार से ये डॉक्टर गरीब मरीजों के इलाज के लिए पैसे लेते हैं. पर अपनी सेवा निजी क्लिनिक में देकर मोटी कमाई करते हैं. लेकिन इन सब के बीच लाचार मरीज पिसते हैं जिन्हे झाड़ू लगाने वाले स्टाफ से इलाज कराना पड़ता है।वही इस मामले में सुपौल के सिविल सर्जन और सीएस का मानना है कि ये बेहद हैरान करने वाली बात है कि जब अस्पताल में डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्यकर्मी है तो फिर सफाईकर्मी क्यों डॉक्टर का काम कर रहे है। उन्होंने कहा कि इस मामले मे जल्द कार्रवाई की जाएगी।
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