सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में पुलिस के लिए साईबर क्राइम सबसे बड़ी चुनौती बन गई है.आये दिन साइबर फ्रॉड के मामले सामने आ रहे हैं.साइबर अपराधी बड़े बड़े ठगी के मामलों को अंजाम दे रहे हैं.लोगों को साइबर अपराधियों से बचाने के लिए बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई अक्सर अवेयरनेस के लिए कोई न कोई ठोस कदम उठाती रहती है.लेकिन अभीतक उसका माकूल नतीजा सामने नहीं आया है.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जब साइबर क्राइम की कोई वारदात होने के चंद मिनटों के अंदर पुलिस को उसकी जानकारी मिल जाए और फिर उस सूचना पर तेजी से एक्शन हो तभी कारवाई संभव है. अब साइबर क्राइम पर कण्ट्रोल के लिए आर्थिक अपराध इकाई (EOU) मुख्यालय में एक बड़ा कॉल सेंटर बन रहा है. कुछ महीने पहले ही बिहार में इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम (ERSS)-112 की शुरुआत हुई थी. एक कॉल करते ही चंद मिनटों में कॉलर को इसके जरिए सहायता मिल जाती है.
बिहार पुलिस मुख्यालय ने दावा किया है कि ERSS-112 के तर्ज पर ही साइबर क्राइम के लिए डायल 1930 काम करेगी. वर्तमान में कॉल करने पर एक बार में एक कॉल को ही अटेंड किया जाता है. मगर, चंद दिनों के अंदर इसकी सेवा में विस्तार हो जाएगा. एक बार में 30 कॉल को रिसीव किया सकेगा. हर 8 घंटे की शिफ्ट में 30 लोगों की टीम काम करेगी. सातों दिन 24 घंटे डायल 1930 काम करेगी. EOU की नई बिल्डिंग में इसके तैयारी चल रही है.
ADG मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार के अनुसार डायल 1930 अभी से ही हर दिन काफी सारी शिकायतें आ रही है. लोग कॉल कर अपने साथ हुए साइबर क्राइम के बारे में बता रहे हैं. लेकिन, इसे अब और भी एक्टिव बनाया जा रहा है. इसके लिए फोन लाइन की संख्या बढ़ाई गई है. जो भी कॉल आएगा वो टीम उसे रिसीव करेगी. इसके लिए केंद्र सरकार, बिहार सरकार और बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई मिलकर काम कर रही है.