अकबर का ईमान डोल जाता तो बबली की लाश के साथ ही दफन हो जाता आसरा होम का राज

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सिटी पोस्ट लाइव( अशोक पाण्डेय) : बिहार की राजधानी पटना के राजीव नगर के नेपाली नगर स्थित आसरा गृह की दो महिलाओं की मौत के बारे में एक बड़ा राज सामने आया है. पुलिस के अनुसार दोनों महिलाओं को मौत के बाद ईलाज के लिए तो लाया ही गया था साथ ही पोस्टमार्टम के बाद दोनों की लाशों को जला देने की कोशिश भी की गई थी. एक लाश तो जला दी गई लेकिन मजहब और परंपरा की वजह से मुस्लिम महिला बबली को संस्था के लोग अपनी तमाम कोशिश के वावजूद दफना नहीं पाए थे.

दरसल, इसी लाश की वजह से आसरा होम की ईलाज में लापरवाही का भन्दा फूटा. यह मुस्लिम महिला बबली तो  लापरवाही की बलि चढ़ गई, लेकिन उसकी लाश ने पूरे मामले का भंडाफोड़ कर दिया. लावारिस मैय्यत कमेटी के अकबर की भूमिका की वजह से बबली को दफनाया नहीं जा सका. अकबर का ईमान अगर डोल जाता तो बबली की लाश के साथ आसरा गृह का यह बड़ा राज भी उसके साथ ही दफन हो जाता. लेकिन अकबर अपने उसूलों पर अड़ा रहा, जिसके कारण आसरा गृह कांड का भंडा फूट गया.

शनिवार की रात ही आसरा गृह में रहने वाली पूनम और बबली की संदेहास्पद परिस्थिति में मौत हो गई थी. रविवार की सुबह दोनों शवों का पीएमसीएच में पोस्टमॉर्टम कराया गया . इसके बाद पूनम की लाश को जला दिया गया लेकिन, मुसलमान बबली के शव को दफनाने में पंगा हो गया. सूत्र बताते हैं कि उन्होंने कोशिश तो की थी, पर कब्रिस्तान के लोगों ने अनुमति नहीं दी. जिनके घरवाले नहीं होते, उनकी लाश का अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति-रिवाज से लावारिस मैय्यत कमेटी करती है. कब्रिस्तान के लोगों ने ही कमेटी के पदाधिकारी अकबर हुसैन का पता बताया.

अकबर ने बताया  कि 11 अगस्त को एक युवक उनके पास आया और बोला कि औरत की लाश दफन करानी है. उन्होंने संस्था के लेटर पैड पर औरत की सारी जानकारी के साथ कमेटी के नाम से अनुरोध पत्र देने को कहा. इसके बाद वह युवक वहां चला गया. थोड़ी देर बाद लौटकर आया और इसबार उसने फोन पर किसी व्यक्ति से अकबर की बात कराई. अकबर ने वही बात दोहराई और कहा कि संस्था का लेटर पैड नहीं है तो थाने से लिखवा कर दीजिए. इसपर फोन लाइन के दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति झगड़ने लगा और बोला – तुम्हें जितने रुपये चाहिए, ले लो, पर लाश दफन कर दो. अकबर को गडबडझाले की बू आ गई और लाश दफनाने से  उन्होंने साफ इन्कार कर दिया. संस्था का युवक दोपहर तक लंबी गाड़ी लगाकर अकबर की दुकान के बाहर ही डटा रहा. जब उसे लगा कि दाल नहीं गलेगी, तब वह लौट गया. इस बीच अकबर ने बबली की मौत की खबर को जंगल की आग की तरफ फैला दिया.

पुलिस ने आसरा गृह के संचालन पर अनुमया ह्यूमन रिसोर्स फांउडेशन के रजिस्टर की बारीकी से जांच हुई तो उसमें कोई लेखा-जोखा सही नहीं पाया गया. कितने रुपये आए और कहां खर्च हुए, इसका भी ब्योरा नहीं मिला. जांच आगे बड़ी तो ये खुलासा भी हो गया  कि समाज कल्याण विभाग के निर्देशानुसार आसरा गृह के संचालन के लिए जितने कर्मचारी होने चाहिए थे, उतने नहीं थे. फर्जी सूची दिखा कर कर्मचारियों के नाम पर रुपयों की बंदरबांट हो रही थी.

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