CAB और NRC लेकर यूपी में हिंसा, पांच की मौत, पुरे राज्य में तनाव व्याप्त.
सिटी पोस्ट लाइव ; असम के बाद अब उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हिंसक प्रदर्शन का दौर जारी है. आज उत्तर प्रदेश में हिंसक झड़प में पांच लोगों की मौत हो गई.लखनऊ में गुरुवार को हुई हिंसा के बाद पुलिस शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद की स्थिति को लेकर काफ़ी सतर्क थी.यूपी पुलिस के आला अधिकारी हिंसा की आशंका वाले इलाक़ों में गश्त करते रहे. लखनऊ में तो गुरुवार की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होने पाई. लेकिन लखनऊ के अलावा लगभग हर ज़िले में न सिर्फ़ प्रदर्शन हुए बल्कि प्रदर्शन हिंसक हो गए और उन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.
जानकारी के अनुसार कानपुर, संभल, फ़िरोज़ाबाद में एक-एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई जबकि बिजनौर में दो लोगों की मौत हुई है.मुरादाबाद ज़ोन के आईजी नवीन अरोड़ा ने बिजनौर में हुई मौत की पुष्टि की है. फ़िरोजाबाद में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच आमने-सामने हुई फ़ायरिंग में भी एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई जबकि कई प्रदर्शनकारियों समेत आठ पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं.फ़िरोज़ाबाद में प्रदर्शनकारियों ने रोडवेज़ की एक बस को भी आग के हवाले कर दिया. वहीं मेरठ में भी पुलिस की गोली से एक शख़्स की मौत की ख़बर है. हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हो पाई है.
गोरखपुर, मऊ, अमरोहा, बहराइच, बुलंदशहर, बिजनौर और अन्य जगहों पर प्रदर्शन के दौरान पत्थरबाज़ी, आगज़नी और गोलीबारी की ख़बरें मिली हैं. कानपुर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों की गोलीबारी में आठ लोगों के घायल होने की ख़बर है. बताया जा रहा है कि सबसे ज़्यादा हिंसक प्रदर्शन बाबूपुरवा और यतीमख़ाना इलाक़े में हुआ जहां घरों से भी पत्थर और पेट्रोल बम फेंके गए.
कानपुर ज़ोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रेम प्रकाश का कहना था, “कुछ जगहों पर जुमे की नमाज़ के बाद छिट-पुट हिंसा हुई है लेकिन पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया. कुछ जगहों पर मुंह पर कपड़े बांधकर हिंसा करते हुए लोग दिखे हैं, उनकी पहचान कराई जा रही है.”बिजनौर में जुमे की नमाज़ के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान कुछ लोगों ने जमकर पथराव भी किया. कई पत्रकारों को भी चोटें लगी हैं और हिंसा में एक व्यक्ति की मौत की भी ख़बर आ रही है. ऐसी ही घटनाएं गोरखपुर, मऊ, बहराइच, हापुड़ और दूसरे शहरों में भी हुई हैं.
बताया जा रहा है कि पूरे राज्य में जहां भी हिंसा हुई है, हर जगह जुमे की नमाज़ के बाद और मस्जिदों के आस-पास हुई है और सभी का स्वरूप लगभग एक जैसा ही था. जो कुछ भी हुआ उससे साफ़ पता लगता है कि पुलिस के पास न तो कोई इनपुट था और न ही कोई तैयारी. गुरुवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद ही हर जगह एक पर्चा वायरल हो रहा था जिसमें लोगों से बाहर निकलने, प्रदर्शन करने और तमाम तरह की बातें लिखी हुई थीं.”
गुरुवार को हुए हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए लखनऊ के चौक क्षेत्र और टीले वाली मस्जिद के आस-पास का पूरा इलाक़ा शुक्रवार सुबह से ही पुलिस छावनी में तब्दील रहा.गुरुवार को इसी इलाक़े में प्रदर्शन के दौरान न सिर्फ़ हिंसा हुई बल्कि दो पुलिस चौकियों में भी आग लगा दी गई. हिंसा के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मोहम्मद वकील नाम के एक व्यक्ति की मौत भी हो गई.
हालांकि पुलिस का कहना है कि मोहम्मद वकील की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई लेकिन परिजनों का आरोप है कि वकील राशन और दवा लेने के लिए बाज़ार गया था और उसी दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई.जानकारों के मुताबिक ऐसी ख़बरें पहले से ही थीं कि शुक्रवार को इस तरह की स्थितियां पैदा हो सकती हैं लेकिन या तो पुलिस और प्रशासन स्थिति की गंभीरता को समझ नहीं पाया या फिर वह नियंत्रित नहीं किया जा सका.
लखनऊ में भी मस्जिदों के आस-पास और ख़ासकर उन जगहों पर जहां गुरुवार को हिंसा हुई थी, पुलिस, पीएसी और आरएएफ़ के जवानों के साथ डीजीपी, एसएसपी और अन्य अधिकारी भी गश्त करते रहे लेकिन लखनऊ के बाक़ी इलाक़ों से पुलिस नदारद दिखी.पुलिस और सरकार की ओर से अभी हिंसा के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल सकी है लेकिन राज्य भर में बड़ी संख्या में गिरफ़्तारियां हुई हैं.अकेले लखनऊ में क़रीब 150 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी के मुताबिक अभी अन्य लोगों की भी तलाश की जा रही है.
अधिकारी के मुताबिक, “सभी जगहों पर एक ही पैटर्न पर भीड़ में शामिल कुछ लोग मुंह में काले कपड़े बांधकर पत्थरबाज़ी कर रहे हैं और हिंसा को भड़का रहे हैं. इन लोगों की पहचान कर पाना भी आसान नहीं है.”गुरुवार रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सीसीटीवी फ़ुटेज के आधार पर हिंसा करने वालों की पहचान की गई है और जो भी नुक़सान हुआ है, उसकी भरपाई इन्हीं लोगों की संपत्तियों से की जाएगी.