सिटी पोस्ट लाइव : वैसे तो जेल सिर्फ अपराधी, गुंडे और बदमाश ही जाते हैं. ताकि वे आपराधिक दुनिया को छोड़ सुधर जाएं और सामाजिक जीवन को जीने लायक बन जाए. ऐसे कम ही देखा गया है कि कोई अपराधी सुधरता हो. लेकिन बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित एक जेल ऐसा भी है, जहां जाने वाले कैदी न सिर्फ सुधारते हैं बल्कि शिक्षित भी होते हैं. दरअसल गोपालगंज जिले के थावे स्थित चनावे मंडल कारा को एक बार फिर बड़ी उपलब्धि मिली है.
गोपालगंज के चनावे मंडल कारा में बंद 131 कैदियों ने मैट्रिक व इंटर की पढ़ाई के लिए नामांकन किया है. इन कैदियों को जेल में बंद दूसरे कैदी ही पढ़ाएंगे. जिले के डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग के तहत गोपालगंज मंडल कारा के 131 कैदियों ने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई के लिए नामांकन कराया है. जेल में एक बेहतर खुशनुमा और अनुशासन के तहत माहौल बनाया गया है जिसके बाद कैदियों ने पढ़ने की इच्छा जाहिर की है. डीएम ने कहा कि वर्तमान में जेल में 500 से ज्यादा पुरुष और महिला बंदी हैं. जिसमें से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग के तहत 10वीं और 12वीं की पढ़ाई के लिए 131 कैदियों ने नामांकन किया है.
बता दें कि गोपालगंज जेल में इग्नू के तहत भी उच्च शिक्षा के लिए कई कैदियों ने अपना नामांकन कराया है. वो कैदी भी ट्रायल के दौरान शिक्षा दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं. डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने बताया कि जेल में बालबाड़ी का मान्यता लेने का भी प्रयास किया जा रहा है. जेल प्रशासन के द्वारा जेल के अंदर एक बेहतर और सुधारात्मक माहौल बनाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. कैदियों को पढ़ने और पढ़ाने के लिए हर जरूरी चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं.
जाहिर है इस तरह की पहल और लगन देश के अन्य कारागार में भी हो तो शायद अपराध को देश में बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. अच्छी शिक्षा न सिर्फ लोगों को गलत काम करने से रोकती है. बल्कि सामाजिक जीवन जीने में मदद मिलती है. अपराध का मुख्य कारण होता है पैसा. यदि कैदी शिक्षित हो जायेंगे तो उन्हें नौकरी भी मिलेगी. आर्थिक परिस्थितियां ठीक हो जाती है. जिसकी वजह से वे समाज में सामान्य रूप से जी पाते हैं. गोपालगंज प्रशासन द्वारा कैदियों में जागरूकता लाना भी उनकी बड़ी उपलब्धि है.