सिटी पोस्ट लाइव : डेल्टा के बाद अब कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट देशभर में फैल चुका है. कोविड पॉजिटिव क्लिनिकल सैंपल्स की जीनोम सिक्वेंसिंग पर काम कर रहे जैव प्रौद्योगिकी विभाग (INSACOG) के वैज्ञानिकों का कहना है कि मूल ओमीक्रोन (B.1.1.529) वेरिएंट के साथ उसका ‘भाई’ BA.1 तेजी से हावी हो रहा है और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में तेजी से डेल्टा वेरिएंट की जगह ले रहा है.इसके दो और ‘भाई’ – BA.2 और BA.3 हैं. एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार ‘कुछ क्लिनिकल सैंपल्स की सिक्वेंसिंग में, मूल ओमीक्रोन वेरिएंट की बजाय BA.1 की मौजूदगी ज्यादा दिखी है.सब-लीनिएज उसी परिवार से ताल्लुक रखते हैं, ऐसे में इन सैंपल्स को ओमीक्रोन पॉजिटिव माना जाता है. वैज्ञानिकों का साफ कहना है कि सब-लीनिएज वैरिएंट नहीं है, वे उसी परिवार के सदस्य हैं और मूल वेरिएंट से काफी समानता लिए होते हैं.
इस तरह से ओमीक्रोन के परिवार में उसके तीन ‘भाई’ की पहचान सामने आ चुकी है. वैज्ञानिकों को जीनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट में BA.2 की मौजूदगी भी पता चली है. इस काम में जुटे एक और वायरोलॉजिस्ट ने कहा,’लेकिन इसकी मौजूदगी तुलनात्मक रूप से काफी कम है. भारत में अब तक ओमीक्रोन परिवार के तीसरे सदस्य BA.3 की मौजूदगी सामने नहीं आई है.’ओमीक्रोन काफी संक्रामक है और देश में हाल के दिनों में तेजी से बढ़े कोरोना के मामलों के लिए यही जिम्मेदार है. फिलहाल ज्यादातर मरीजों में मामूली बीमारी के लक्षण दिखाए दिए हैं और तुलनात्मक रूप से अस्पताल जाने की नौबत कम आई है.
INSACOG ने देशभर में सार्स कोव-2 की जीनोम सर्विलांस से संबंधित अपनी रिपोर्ट तैयार की है और महाराष्ट्र और केरल समेत कुछ राज्यों के लिए विस्तृत जिलेवार विश्लेषण सामने रखा है. अच्छी बात यह है कि स्टैंडर्ड आरटी-पीसीआर या एंटीजन किट ओमीक्रोन और वेरिएंट के परिवार के तीनों सदस्यों के चलते होने वाले कोविड संक्रमण की पहचान करने में सक्षम है. हालांकि RT-PCR-S-जीन टारगेट विधि की मदद से संभावित ओमीक्रोन केस की जांच पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता है क्यों अब तक के उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि BA.2 सब-लीनिएज को इस आरटी-पीसीआर-एसजीटीएफ किट का इस्तेमाल कर पहचाना नहीं जा सकता है. कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रोन से संक्रमण के 552 नए मामले सामने आने के बाद रविवार को देश में इससे संक्रमित मरीजों की कुल संख्या बढ़कर 3,623 हो गई थी.