सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है. दूसरी लहर में लॉकडाउन के पहले कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन, ICU और वेंटिलेटर को लेकर जो संकट दिखा, उससे डर और ज्यादा बढ़ गया है.दरअसल, जहाँ तक बच्चों के अस्पताल का सवाल है, केवल पटना में ही बच्चों के इलाज की सुविधा संतोषजनक है. बच्चों के लिए ICU की सुविधा पटना समेत 6 जिलों में ही है. 38 में 32 जिलों में बच्चों के लिए ICU नहीं हैं और 33 जिलों में वेंटिलेटर नहीं हैं.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर खतरा आने पर पटना में 200 और पूरे बिहार में 1000 वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी. जबकि AIIMS समेत चारों बड़े अस्पतालों को मिलाकर पटना में महज 69 वेंटिलेटर हैं और बिहार के 9 बड़े अस्पतालों को मिलाकर इनकी संख्या 143 है।.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक बच्चों के लिए पटना में 2,000 बेड जरूरी हैं, जबकि यहां 330 बेड हैं. पूरे बिहार में 10,000 बेड की जरूरत मानी जा रही है, जबकि अभी मात्र 816 बेड ही हैं. बच्चों के लिए कुल 365 ICU हैं.सरकार ने पिछले हफ्ते सभी जिलों से रिक्वायरमेंट मांगी थी. लेकिन ICU और वेंटिलेटर के साथ-साथ डॉक्टर्स की भी जरूरत होगी. हालांकि एक्सपर्ट मानते हैं कि वॉक-इन ड्राइव से भी यह मैनेज हो जाएगा.
पटना में PMCH में 200 बेड, वेंटिलेटर 16 PMCH के शिशु वार्ड में बेड तो 200 हैं, लेकिन वेंटिलेटर 16 हैं. यहां 200 में से 50 बेड पर ही ऑक्सीजन की व्यवस्था है. NMCH में 60 बेड हैं और वेंटिलेटर 18 हैं. IGIMS में तो 40 में से 5 बेड ही वेंटिलेटर वाले हैं. AIIMS शिशु वार्ड में 30 बेड हैं और सभी वेंटिलेटर सुविधा वाले ICU के रूप में काम कर रहे हैं.दरभंगा के DMCH में भी 4 ही वेंटिलेटर हैं. बेतिया GMCH कोविड डेडिकेटेड है गया में NMCH में 3 वेंटिलेटर हैं, लेकिन ठीक से नहीं चल रहे हैं.भागलपुर के JLNMCH में ICU को छोड़ कुल 60 बेड हैं, जिनमें 50 पर पाइपलाइन ऑक्सीजन है. नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) 36 बेड का है, लेकिन पीडिएट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (PICU) 8 बेड का ही है.