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अनलॉक में फ़ेल होता जा रहा है बिहार, बढ़ता जा रहा संक्रमण का खतरा.

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सिटी पोस्ट लाइव :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार जुलाई को बिहार बीजेपी के कार्यकर्ताओं से बातचीत कर रहे थे.उन्होंने भोजपुरी में कहा- “बिहार के सब भाजपा कार्यकर्ता एवं साथी लोग अभिनंदन के पात्र बानी जा. लोग कहत रहे कि ओहिजा ग़रीबी बा, कोरोना ज़्यादा फैली, लेकिन रउआ लोग सब केहू के ग़लत साबित कर देहनी.” लेकिन बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. बिहार में कोरोना संक्रमण रोज अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ रहा है.पिछले कुछ हफ़्तों से संक्रमण में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.

अनलॉक होते बिहार में पॉज़िटिव मामलों की संख्या 3807 (31 मई को ) से बढ़कर 11,860 पहुंच गई है. इस तरह इस दौरान संक्रमण के मामले लगभग तीन गुणा बढ़े हैं.संक्रमण का प्रसार ऐसा है कि अब यह केवल बाहर से आए लोगों या आम लोगों तक ही नहीं रहा.कई ज़िलों के डीएम और एसपी इसकी चपेट में आ चुके हैं, अस्पतालों में काम करने वाले दर्जनों डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ़ संक्रमित हैं, मंत्रियों- नेताओं तक भी संक्रमण पहुंच गया है, यहां तक कि विधानसभा के सभापति भी सपरिवार संक्रमित हो गए हैं.

लेकिन बिहार की मौजूदा स्थिति अनलॉक की कला में विफलता की कहानी बयां कर रही है.इसकी बानगी बिहार के राजनीतिक और सामाजिक गलियारे में भी देखी जा सकती है जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष का सारा फ़ोकस आने वाले चुनाव पर शिफ़्ट हो गया है.बिहार में संक्रमण के प्रसार को रोकने के उपायों से ज़्यादा चुनावी गतिविधियां हो रही हैं, सड़कों पर ट्रैफ़िक जाम लग रहा है, समारोह और आयोजनों में लोग जुट रहे हैं.लॉकडाउन में छूट की शर्तें सिर्फ़ काग़ज़ों और घोषणाओं तक सिमट गई लगती हैं.

राजधानी पटना अपने एक हज़ार पॉज़िटिव मरीज़ों के साथ राज्य का कोरोना हब बना हुआ है. लेकिन बावजूद इसके, बाज़ारों में पहले की तरह भीड़ लगने लगी है और आलम यह है कि सड़कों पर दौड़ती बसों में लोग लद-लदकर सफ़र करते दिखते हैं.वैसे तो यहां की सरकार भी कहती है कि मास्क पहनें और काम पर चलिए.लेकिन पिछले सप्ताह विधान पार्षदों के शपथ समारोह में तो मुख्यमंत्री के सामने ही सोशल डिस्टेंसिंग की खुल्लेयम धज्जियाँ उड़ाते पार्षद दिखे. सरकार से जुड़े लोग भी मास्क से परहेज़ करते दिखाई दे रहे हैं.

कुछ दिनों पहले नव निर्वाचित विधान पार्षदों के शपथग्रहण समारोह की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी, उसमें सभी निर्वाचित पार्षदों के साथ-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, विधान सभा के स्पीकर विजय चौधरी, डिप्टी सीएम सुशील मोदी समेत कई अन्य लोग सोशल डिस्टेंसिंग का मज़ाक़ उड़ाते दिख रहे थे.यह एक ग्रुप तस्वीर थी जिसमें शामिल 16 लोगों के बीच दो ग़ज़ की दूरी का नामोनिशान नहीं था और आधे से अधिक लोगों के कान से लटका मास्क मुंह और नाक को ढकने की जगह उनके गले की शोभा बढ़ा रहा था.

इसी समारोह के बाद विधान परिषद के सभापति सपरिवार संक्रमित होने की ख़बर आई.जब नेता जनता के सामने इस तरह से पेश आने लगें तो स्वाभाविक है कि जनता संक्रमण को गंभीरता से नहीं लेगी.जहां तक सरकार की गंभीरता का सवाल है तो वह अब चुनावी मोड में आ गई है. सरकार समय से चुनाव करवाने की तैयारी में है इसलिए इस विषम परिस्थिति में भी एक न्यू नॉर्मल स्थापित करना चाह रही है, जहां कोविड-19 को लेकर निगेटिव बातें कम हों, पॉज़िटिव बातें अधिक हों.और खतरा बढ़ता जा रहा है.

पिछले कुछ दिनों के दरम्यान यह भी देखने को मिला है कि बिहार के अलग-अलग शहरों में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ़ में संक्रमण के मामले बढ़े हैं.पटना PMCH के 16 डॉक्टर-स्वास्थ्यकर्मी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. कोई सरकारी अस्पताल ऐसा नहीं है, जहाँ के डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी कोरोना के चपेट में नहीं आये हैं.इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर से लेकर कई स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हो चुके हैं. मुज़फ़्फ़रपुर शहर में तीन दर्जन से अधिक डॉक्टर संक्रमित हैं. डॉक्टरों का हब कहा जाने वाला वहां का जूरन छपरा इलाक़ा कोरोना हब बन गया है.संक्रमितों में प्राइवेट और सरकारी दोनों अस्पतालों के डॉक्टर शामिल हैं. परिणाम ये हुआ है कि शहर के अधिकांश नर्सिंग होम और प्राइवेट अस्पताल बंद हो चुके हैं. मरीज़ दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

मुज़फ़्फ़रपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसकेसीएचएम के 10 डॉक्टर संक्रमित पाए गए हैं.वहां के मेडिकल सुपरिटेंडेंट सुनील कुमार शाही का कहना है कि अस्पताल में भीड़ इतनी हो जा रही है कि संभालना मुश्किल हो रहा है. कारण है कि डॉक्टर भी ख़ुद को नहीं बचा पा रहे. लोग न तो सोशल डिस्टेंसिंग फ़ॉलो कर रहे हैं और न ही मास्क लगा रहे हैं.

विधान परिषद के सभापति की कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव आने से सूबे के सियासी जगत में हलचल मच गई. उनसे और शपथग्रहण समारोह से जुड़े सभी लोगों की जाँच हुई. सीएम नीतीश कुमार, विधानसभा के स्पीकर विजय चौधरी और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने भी शनिवार को अपनी जाँच कराई. एक पुलिस अधिकारी को छोड़ बाक़ी सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है. एक शादी समारोह में शामिल होने के बाद तेजस्वी यादव भी कोरोना के रडार पर आ गए हैं.उस शादी समारोह में उनके साथ उनकी पार्टी के नेता महताब आलम भी मौजूद थे जो कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

सबसे ख़ास बात ये रही कि सीएम समेत दूसरे अन्य नेताओं और अधिकारियों की टेस्ट रिपोर्ट सैंपल देने के कुछ ही घंटों बाद उसी दिन आ गई.लेकिन सोशल मीडिया पर लोग अब यह सवाल करने लगे हैं कि क्या बिहार सरकार कोरोना जाँच की प्रक्रिया में भेदभाव कर रही है? यह कहा जा रहा है कि आम आदमी की कोरोना रिपोर्ट आने में कम से कम दो से तीन दिनों का वक़्त लग जा रहा है.कोरोना वायरस के सैंपल टेस्ट के मामले में बिहार शुरू से ही सबसे पीछे चल रहा राज्य रहा है. पाँच जुलाई की शाम को चार बजे तक राज्य में कोरोना वायरस के 2,57,859 सैंपल टेस्ट हुए हैं.

12 करोड़ से अधिक की आबादी वाले राज्य के लिए अभी तक इतने सैंपल टेस्ट बहुत कम कहे जा सकते हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले कई दिनों से कह रहे हैं, “जाँच की गति बढ़ाई जाए. रोज़ाना 20 हज़ार सैंपल टेस्ट हों.लेकिन सैंपल टेस्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक़ पिछले क़रीब एक हफ़्ते से रोज़ाना औसतन आठ हज़ार लोगों की जाँच की गई है.राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पिछले महीने से तुलना में जाँच की गति में बहुत तेज़ी आने का दावा कर रहे हैं.उनका दावा है कि  आने वाले हफ़्ते तक हम रोज़ 20 हज़ार जांच करने में स्वास्थ्य विभाग सक्षम हो जाएगा.

कोविड-19 के आने वाले ख़तरे के लिहाज़ से यह बात भले ही महत्वपूर्ण है कि बिहार में संक्रमण बहुत तेज़ी से फैल रहा है, मगर बिहार की सरकार, नेताओं और अधिकारियों का ज़ोर यह बताने पर ज़्यादा है कि यहां का रिकवरी रेट 73.90 फ़ीसद है जो कि उनके मुताबिक़ बहुत बेहतर है.नेताओं और अधिकारियों की सुनकर और मीडिया से जानकर अब यही बात यहां के आम लोग भी कहने लगे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या ऐसा कह देने और मान लेने भर से आने वाला ख़तरा कम हो जाएगा?डॉक्टरों के अनुसार  लोग अभी ख़तरे को समझ ही नहीं पा रहे हैं. किसी भी नए एरिया से एक भी नया मामला मिलना बहुत चिंता की बात है.लेकिन बिहार में तो रोज़ 400-500 मिल रहे हैं. अगर लोग अभी से भी नहीं चेते तो आने वाला समय बहुत ख़राब होने जा रहा है.

मधुबनी में बढ़ रहे मामलों के कारण वहां अगले तीन दिनों के लिए फिर से पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक़ ख़बर है कि आने वाले दिनों में दरभंगा, मुज़फ़्फ़रपुर, भागलपुर और पटना में भी फिर से लॉकडाउन लग सकता है.अब पटना में भी फिर लॉक डाउन की मांग उठने लगी है.कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्र ने ये मांग की है.

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