देश में कौन नेता बा कर्पूरी ठाकुर के नक्शाकदम पर चले वाला ?

City Post Live - Desk

कनक कुमार

आज जन नायक कर्पूरी ठाकुर के जयंती सब राजनीतिक दल धूमधाम से मनावत बा. सब अपना के कर्पूरी ठाकुर के सबसे बड़ा शुभचिंतक साबित करे में लागल बा. लेकिन कोई कर्पूरी ठाकुर के राह पर चले के तैयार नईखे. कर्पूरी ठाकुर जब मुख्यमंत्री रहलन त उनका सामने जाए वाला हर कोई के ई अहसास होत रहल कि उ कर्पूरी ठाकुर से बड़ा बा. अतना सरल सहज और सादा जीवन आज एक विधायक के भी नईखे, मुख्यमंत्री के बात त दूर. कर्पूरी ठाकुर जब मुख्यमंत्री रहलन त उनके कार के साथ कवनो काफिला ना रहत रहे.ईगो  मुख्यमंत्री के कार अउर ईगो सुरक्षाकर्मी के गाड़ी साथ में रहत रहे. उ सुबह अपने घर पर टहल समय ढेर लोगन से मिल लेट रहलन. बाकि बचल लोगन के  घर से निकलत समय अपन गाडी में बईठा लेत रहन.गाड़ी में लोगन से बात करत रहलन अऊर जहाँ बात ख़त्म भईल ओहिजे उनका के उतार देत रहलन.

कर्पूरी ठाकुर के साथ राजनीति करेवाला  पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी के अनुसार  एक बार उ कवनो काम से कर्पूरी जी से मिले गईलन.कर्पूरी जी घर से निकलत रहलन.उ अपना गाडी में उनकरा साथ चार पांच उन लोगन के बइठा लीहलन.गाडी पर सुरक्षाकर्मी के बईठे खातिर भी जगह ना रहल.गाडी में जेकरा से बात जहाँ ख़त्म भईल, ओकरा के वोहीजे उतार देत रहलन.अब्दुलबारी सिद्दकी कहताडन कि उनकरा साथ उनकर जैसे ही डाकबंगला चौक के आगे एग्जवीशन रोड से थोड़ा पहले बात खत्म भईल, वोहिजे उतार दिहलन. मोबाइल के ज़माना रहे ना,बड़ी मुश्किल से उ घर पहुँचलन.

कर्पूरी ठाकुर के साथ कम करेवाला जेडीयू के नेता बशिष्ठ बाबू के अनुसार एकबार उ कर्पूरी जी से उनकर बेटा के चुनाव लडावे के बात कह दिहलन.कर्पूरी जी नाराज हो गईलन. बशिष्ठ बाबू उनका के समझवलन –“ई राउर बेटा हउवन ऐसे हम चुनाव लडावे के नईखी कहत.जेपी आन्दोलन में काम कईले हउवन और लोहिया जी उनका के मेम्बर बनवले रहन.ये नाते उनका के मौका मिले के चाही.कर्पुरीजी ई बात सुनके कुछ देर चुप हो गईलन फिर धीरे से बोललन-“ठीक बा नवजवान सबके राजनीति में आवे के चाही, हमारा जगह पर ओकरा के ही लड़ा दिहल जाऊ.बाप बेटा दुनो चुनाव ना लड़ी.”

कर्पूरी ठाकुर के बेटा रामनाथ आज राजनीति में बाडन ,कईबार मंत्री रहलन.लेकिन कर्पूरी जी के पत्नी त मुख्यमंत्री बनला के बाद भी जीवन भर बकरी चरावत रह गईली.एकबार त उनका गावं में पहुंचल डीएम उनका मेहरारु के जब बकरी चरावत देखलन त उनकर होश उड़ गईल और उनका समझ में आ गईल कि देश में आजो अइसन नेता के कमी नईखे जेकर राजनीति के उद्देश्य समाज सेवा बा ना कि परिवार सेवा.

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