सामाजिक न्याय के वाहक सवर्ण ही दे सकते हैं न्यायप्रिय शासन : ई. रविंद्र कुमार सिंह
सिटी पोस्ट लाइव : राष्ट्रीय समान अधिकार यात्रा समिति ने आगामी 25 फरवरी को पटना में आहूत विशाल राष्ट्रीय समान अधिकार महारैली के पटना जिले में जनसंपर्क तेज कर दिया है। इस क्रम में आज यात्रा समिति के संयोजक ई. रविंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में पटना जिले के हंडेर, बहुआरा, कंडाप, गोपालपुर,तारणपुर, एकौना, पकौली, लंका कछुआरा, लखंपार आदि जगहों पर जाकर लोगों से राष्ट्रीय समान अधिकार महारैली को सफल बनाने की अपील की गई।
इस दौरान ई. रविंद्र कुमार सिंह ने कहा कि यात्रा का मकसद देश में समान शिक्षा, स्वास्थ्य, नागरिकता, कानून आदि को लेकर लोगों में जनजागृति पैदा करनी थी। इसी को लेकर हम 25 फरवरी को पटना में ऐतिहासिक गांधी मैदान में सवर्ण महारैली का आयोजन भी किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत को एकसूत्र में बांधने और न्यायप्रिय शासन देने का काम आज भी सिर्फ सवर्ण नेतृत्व ही कर सकती है। लालू यादव, नीतीश कुमार, राम विलास पासवान जैसे नेता सामाजिक न्याय का ढि़ढोरा पिटते हैं, मगर उनसे पूछा जाये कि सामाजिक न्याय के लिए उन्होंने किया क्या, तो उसका जवाब बस यही होगा कि हमारे पिछड़े भाईयों को नफरत की आग में झोंक कर कुर्सी हासिल की।
सिंह ने कहा कि आज ऐसे नेता जिस मंडल कमीशन के 27 प्रतिशत आरक्षण की बात करते हैं। वह भी विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में हुआ और उन्होंने ने ही एससी – एसटी एक्ट कानून को लाया। विश्वनाथ प्रताप सिंह भी सवर्ण ही थे। यहां ध्यान रखना होगा कि जब भी जरूरत पड़ी, सवर्णों ने सामाजिक न्याय को बिना किसी स्वार्थ के मजबूत करने का काम किया। फिर भी कहते हैं कि सवर्ण मनुवादी, दलित विरोधी और सामंतवादी है, तो पूरी तरह से झूठ है। उन्होंने सवर्णों को सामाजिक न्याय का सच्चा सिपाही बताया और कहा कि आज सवर्ण जाति के लोगों को मनुवादी, दलित विरोधी और सामंतवादी कहा जाता है, जो सरासर गलत है। सवर्णों ने हमेशा समाज को साथ लेकर चलना स्वीकार किया है। सर्व विदित है कि संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे, जो सवर्ण थे। और डॉ भीमराव अंबेदकर ड्राफटिंग कमेटी के चेयरमैन थे। उस वक्त राजेंद्र बाबू के हस्ताक्षर से ही एससी –एसटी आरक्षण बिल पास हुआ था। यह दर्शाता है कि सवर्णों ने ही सामाजिक बराबरी के लिए पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया।
ई. रविंद्र कुमार सिंह ने सभी राजनीतिक दलों द्वारा प्रकोष्ठ बनाकर राजनीति करने पर भी सवाल उठाये और कहा कि अक्सर आपने तमाम राजनीतिक दलों से सुना होगा कि वे जात – पात की राजनीति नहीं करते हैं। धर्म की राजनीति नहीं करते हैं। तो इनके नाम पर सभी दलों में प्रकोष्ठ क्यों है। सभी दलों ने सामान्य, पिछड़ा,अतिपिछड़ा, दलित, महादलित और अल्पसंख्यक वर्ग में बांट दिया है। इसमें पांच वर्ग के प्रकोष्ठ हैं और उनके सम्मेलन कराये जाते हैं। तो हम जानना चाहते हैं क्या ये जात – पात की राजनीति नहीं है, जो समाज में विभेद पैदा करती है। जनसंपर्क के दौरान ई. रविंद्र कुमार सिंह के साथ संजय सिंह, नीरज सिंह, शक्ति सिंह, राकेश सिंह मुखिया, कमला सिंह, बरून सिंह, मोहन जी, शत्रुघ्न सिंह, राजीव रंजन, गोविंदा, तिवारी जी, मदनमोहन सिंह, वेदप्रकाश,अमरेश कुमार मंटी भी मौजूद रहें।