स्वावलंबन और परिपक्वता की कहानी गढ़ रही हैं अंबेराडीह की महिलाएं

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स्वावलंबन और परिपक्वता की कहानी गढ़ रही हैं अंबेराडीह की महिलाएं
सिटी पोस्ट लाइव, गुमला: महिलाओं का सशक्तिकरण हो जाए, तो आधी से ज्यादा सामाजिक समस्याओं का निपटारा संभव है। आज हर क्षेत्र में पुरूषों से कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाली महिलाएं इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि महिलाएं भी किसी काम में पीछे नहीं। पालकोट प्रखंड के ग्राम अम्बेराडीह में आरती महिला विकास मंडल की सखियों के साथ मिलकर प्रतिमा देवी ने पेपर प्लेट मेकिंग की शुरुआत की। जहां आज सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग से पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है वहीं अंबेराडीह की महिलाओं ने पेपर प्लेट के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का संदेश दिया है। साथ ही थर्मोकॉल से बने प्लेटों से बेहतर साबित हो रहे हैं। थर्माकॉल से बने पेपर प्लेट पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन पेपेर से बने प्लेट एक बार इस्तेमाल किए जाने के बाद पूरी तरह नष्ट किए जा सकते हैं। इससे प्रकृति को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता। 25 सितंबर 2018 को इस मशीन की स्थापना प्रतिमा देवी के घर पर स्वयं सहायता समूह के माध्यम से की गई। 6 दिसंबर 2018 से इस मशीन से शुरू हुआ पेपर प्लेट बनाने का काम आज तक जारी है। शुरूआत में 2 से 3 महिलाओं के समूह से जुड़कर प्रतिमा देवी ने इस व्यवसाय को प्रारंभ किया था। आज अम्बेराडीह की लगभग 12 महिलाओं के समूह ने इस कार्य में जुड़कर महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम की है। उनका कहना है कि इस व्यवसाय से जुड़ने से पहले उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। रोजगार का कोई स्रोत नहीं था, पर आरती महिला विकास मंडल से जुड़ने के बाद इन्होंने स्काई जोन मार्केटिंग प्रशिक्षण केंद्र से पेपर प्लेट मेकिंग में प्रशिक्षण लिया और काम से जुड़ गईं। प्रतिमा देवी का दावा है कि पूरे जिले में केवल इनके पास ही पेपर मेकिंग मशीन है। प्रति पैकेट पेपर प्लेट बनाने की लागत कुल 2 रुपये है जबकि बाजार में चोटे साइज के प्लेट 9 रुपये और बड़े साइज के साढ़े 13 रुपये में बिकते हैं। इस तरह महिलाएं अपने द्वारा निर्मित पेपर प्लेटों से आय बढ़ा रही हैं।
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