पूर्वांचल में आसमान में छाए बादलों की वजह से नही दिखा सूर्यग्रहण
सिटी पोस्ट लाइव, भदोही: पूर्वांचल में सूर्य ग्रहण देखने कि ख्वाहिश लोगों के दिल में रह गई। आसमान में छाए घने बादल और बारिश की वजह से लोग वर्षों बाद यह नज़ारा नहीँ देख पाए। सूतक काल की वजह से लोगों ने धार्मिक नियमों का अनुपालन किया। काशी परिक्षेत्र में ग्रहण छूटने के बाद लोगों ने गंगा स्नान कर मंदिरों में पूजन- अर्चन के बाद दान- पुण्य किया। इस दौरान लोगों ने टीवी पर सूर्य ग्रहण का नजारा देखा।
जिले में में कई दिनों से चल रहे मौसम और बादलों की लुका-छुपी की वजह से ग्रहण नहीँ दिखा। क्योंकि जब सुबह से सूर्य दर्शन नहीँ हुआ तो फ़िर ग्रहण कहां से दिखेगा। हालाँकि वैज्ञानिकों ने खुली आँख से सूर्यग्रहण को देखना हानिकारक बताया है। जिले में कई स्थानों पर बारिश भी हुई। वाराणसी, मिर्जापुर, जौनपुर, सोनभद्र और दूसरे जिलों में भी बादल छाए रहे और हल्की से लेकर जोरदार बारिश भी हुई। हालांकि बारिश से किसानों को फायदा पहुँचा है। वैसे दोपहर करीब डेढ़ बजे से हल्की धूप खिली लेकिन बादलों की वजह से सूरज छुपा रहा।
ज्योतिषाचार्य अतुल शास्त्री के अनुसार कई वर्षों के बाद ग्रह- नक्षत्रों के योग से अमावस्या के दिन रविवार को यह दुर्लभ सूर्यग्रहण लगा है। मानव जीवन पर इसका प्रतिकूल और अनुकूल दोनों असर पड़ेगा। कई राशियों पर अच्छा तो दूसरों पर बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है। इसका असर दीर्घ कालिक भी हो सकता है। ग्रहण के दौरान सूर्य को नहीँ देखना चाहिए इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। शास्त्रीय विधानों का पालन करना चाहिए। ग्रहण के 12 घंटे पूर्व सूतक काल लगा जाता है। सूर्य मोक्ष के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। ग्रहण काल में भोजन नहीँ ग्रहण करना चाहिए। भजन- कीर्तन करना चाहिए। कोई शुभ कार्य भी नही करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
कृषि वैज्ञानिक डा. अजय कुमार सिंह ने बताया कि 18 वर्ष बाद ऐसा ग्रहण लगा है। उन्होंने किसानों से अपील किया कि सूर्य ग्रहण का वक्त घर से बाहर खुले आसमान के नीचे न रहे , जिससे सूर्य से आने वाली इन खतरनाक किरणों से शरीर का से संम्पर्क न हो सके। सिंह के अनुसार धर्म में भी बहुत सारी मान्यताएं है कि ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह पूरे वातावरण में होता है। जिसकी वजह से इस वक्त न तो भोजन बनाना चाहिए और न ही भोजन करना चाहिए। ग्रहण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है कि ग्रहण के समय सूर्य अनगिनत किरणें धरती के वातावरण में प्रवेश करती हैं। जिसे हम नकारात्मक ऊर्जा कहते हैं। यह किरणें जैसे अल्ट्रा वायलेट, इंफ़्रा रेड, एक्स- रेज़ आदि हैं। इन किरणों के संपर्क में आने से किसी भी जीव जंतु या मनुष्य के शरीर पर गम्भीर प्रभाव पड़ सकता है। जींस भी प्रभाव पड़ सकता है। चमड़ी का कैंसर भी हो सकता है। जिसके लिए उन्होंने किसानों से अपील किया कि धर्मिता आस्था रखने वाले लोगों ने सूतक काल के बाद भोजन नहीँ ग्रहण किया। ग्रहण के दौरान भजन- कीर्तन और सुंदरकांड का पाठ किया गया। ग्रहण की शुरुवात सुबह 10: 30 से दोपहर 2: 04 मिनट तक रहा। ग्रहण छूटने के बाद लोगों ने सीतामढ़ी, रामपुर जैसे गंगा घाटों पर स्नान करने के बाद मंदिर में दर्शन- पूजन किया। गरीबों में दान- पुण्य करने के बाद फ़िर भोजन ग्रहण किया।