डालटनगंज में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, चतुष्कोणीय मुकाबला की बनी पृष्टभूमि

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डालटनगंज में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, चतुष्कोणीय मुकाबला की बनी पृष्टभूमि

सिटी पोस्ट लाइव, मेदिनीनगगर: पलामू जिला के डाल्टनगंज-भंडरिया 76 विधानसभा सीट का मुकाबला रोचक व संघर्षपूर्ण होने की संभावना प्रबल हो गई है। इस बार कई नए तो कई पुराने चेहरे भी चुनावी समर में कूद गये हैं। डालटनगंज विधानसभा की बात करें तो भाजपा के आलोक चौरसिया, कांग्रेस के केएन त्रिपाठी, जेवीएम के डॉ. राहुल अग्रवाल और निर्दलीय प्रत्याशी संजय कुमार सिंह अपनी पूरी शक्ति लगते हुए दिख रहे हैं। जिस कारण चतुष्कोणीय मुकाबला की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है। विगत विस चुनाव में जेवीएम के टिकट पर लड़े आलोक चौरसिया को लोगों ने विधायक बनाया था। दूसरे स्थान पर पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी और तीसरे स्थान पर भाजपा के मनोज सिंह थे। इस बार भाजपा के पूर्व प्रत्याशी मनोज सिंह चुनावी मैदान में नहीं है। जबकि जेवीएम से डॉ. राहुल अग्रवाल और निर्दलीय संजय कुमार सिंह पहली बार भाग्य आजमा रहे हैं। डालटनगंज विधानसभा से लोग इस बार बदलाव के मूड में दिख रहे हैं। इसका लाभ कौन उठता है यह देखना दिलचस्प होगा। सभी उम्मीदवार अपनी जीत को लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। अब तो 23 दिसंबर को ही पता चलेगा कि किसके माथे ताज सजता है। उल्लेखनीय है कि विभिन्न पार्टी व निर्दलीय प्रत्याशी को मिलाकर कुल 15 लोग डालटनगंज विधानसभा से भाग्य आजमा रहे हैं। डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र की अलग पहचान रही है। 1951 से 14 नवंबर 2000 तक संयुक्त बिहार और इसके बाद झारखंड में डालटनगंज विधानसभा राज्य की पहला विधानसभा सीट है, जहां कभी भी जातीय समीकरण हावी नहीं हुए। हालांकि आमतौर पर सभी चुनाव में जातीय समीकरण के आधार पर ही राजनीति दल प्रत्याशियों का चयन और टिकट का बंटवारा करते हैं। राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष, सांसद और संयुक्त बिहार में मंत्री रह चुके इंदर सिंह नामधारी इसी इलाके से आते हैं। जातीय समीकरण की बात करें तो उसे समझाने के लिए यह उदाहरण काफी होगा 1000 से कम आबादी वाले सिख समुदाय वाले इस क्षेत्र से नामधारी 6 बार यहां से विधायक चुने गए। प्रथम विधानसभा चुनाव में बंगाली परिवार से अमिय कुमार घोष कांग्रेस से 1952 में विधायक बने। कायस्थ परिवार के उमेश्वरी चरण 1957 में कांग्रेस के विधायक बने। 1962 में ब्राह्मण समाज के सचिदानंद त्रिपाठी स्वतंत्र पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए थे और वैश्य समाज से पूरन चंद 1967 और 1972 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी तथा 1977 में जनता पार्टी से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। हालांकि इस बार डालटनगंज विधानसभा में काफी दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना दिख रही है। इस क्षेत्र ने वर्ष 2014 से 2019 तक काफी उतार-चढ़ाव देखा। 2014 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्र के कद्दावर नेता स्वर्गीय अनिल कुमार चौरसिया के पुत्र आलोक कुमार चौरसिया चुनाव मैदान में कूदे और झारखंड विकास मोर्चा ने टिकट देकर पहली बार चुनाव मैदान में उतारा था। सहानुभूति की लहर चली और जनता ने विधानसभा भेज दिया। वहीं कांग्रेसी उम्मीदवार केएन त्रिपाठी से कांटे की टक्कर हुई थी। आलोक चौरसिया ने केएन त्रिपाठी को 4,347 वोट से हरा दिया था। वहीं भाजपा उम्मीदवार मनोज कुमार सिंह 42 हजार वोट लाकर तीसरे स्थान पर थे । हालांकि चुनाव के बाद विधानसभा में सियासी हालात कुछ ऐसे बने कि आलोक चौरसिया जेवीएम छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए।
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