इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव से मांगा उनका खुद का हलफनामा
सिटी पोस्ट लाइव, प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव पंचायत राज से पूछा है कि ग्राम प्रधानको पदच्युत कर किसी सदस्य की उस पद पर नियुक्ति का अधिकार जिलाधिकारी या जिला पंचायतराज अधिकारी में से किसे है? यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने सीता देवी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ग्राम प्रधान को हटाने व सदस्य की इस पद पर अस्थायी नियुक्ति का सक्षम अधिकारी कौन है, यह विचारणीय मुद्दा है। कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव पंचायतराज से यह बताने को कहा है कि उप्र पंचायतराज अधिनियम के तहत इनमें से सक्षम अधिकारी कौन है। क्योंकि हाईकोर्ट में जिलाधिकारी के ऐसे आदेशों के खिलाफ याचिकाएं आ रही हैं।
ऐसे ही एक मामले में याची ग्राम पंचायत सदस्य सीता देवी के अधिवक्ता अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि राज्य सरकार की जुलाई 1966 की अधिसूचना के अनुसार प्रधान की नियुक्ति का अधिकार जिला पंचायतराज अधिकारी को है। याचिका में कानून के विपरीत ग्राम प्रधान को पदच्युत कर सदस्य को शैक्षिक योग्यता के आधार पर चुनाव होने तक ग्राम प्रधान का दायित्व सौंपने के जिलाधिकारी एटा के आदेश को चुनौती दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था। कोई जवाब न आने पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए अपर मुख्य सचिव पंचायतराज से सरकार का स्टैंड स्पष्ट करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव से इस सम्बंध में सरकार की अधिसूचना भी दाखिल करने को कहा है।
मामले के तथ्यों के अनुसार एटा के अलीगंज ब्लाक के कंचनपुर आसे ग्राम पंचायत के टपुआ गांव निवासी वीरेन्द्र सिंह यादव ने ग्राम प्रधान पिंकी यादव पर वित्तीय अनियमितता की जांच की मांग में शिकायत की। जांच में आरोप की पुष्टि की गई है। प्रधान पर तीन लाख 93 हजार रुपये सरकारी धन के गबन का आरोप है। जिलाधिकारी एटा ने धारा 95(1) छह के अधिकारों का प्रयोग करते हुए प्रधान को पदच्युत कर दिया और शैक्षिक रूप से अधिक योग्य सदस्य ऋषि कुमार को 28 जुलाई 2019 को नया प्रधान चुने जाने तक ग्राम प्रधान का दायित्व सौंप दिया। इस आदेश का अनुमोदन जिला पंचायतराज अधिकारी ने भी कर दिया है। याचिका में ग्राम प्रधान की नियुक्ति के अधिकार को लेकर सवाल उठाया गया है।