झारखंड विधानसभा का संक्षिप्त शीतकालीन सत्र का आज पहला दिन
सिटी पोस्ट लाइव, रांची : झारखंड विधानसभा का संक्षिप्त शीतकालीन सत्र का आज पहला दिन है। सत्र के इस बार भी हो-हंगामा, गतिरोध और बहिष्कार की भेंट चढ़ने के आसार हैं। इधर, कोलेबिरा में जीत से कांग्रेसी उत्साहित हैं। सत्र संचालन को लेकर 21 दिसंबर को स्पीकर दिनेश उरांव द्वारा बुलाई गई बैठक को लेकर पक्ष और विपक्ष की भूमिका से सदन की कार्यवाही का संकेत मिल गया है। विपक्ष ने बैठक को गंभीरता से नहीं लिया तो सत्ता पक्ष की भूमिका भी कुछ ऐसी ही रही। सत्ता पक्ष ने भी यही संदेश दिया कि विपक्ष जो चाहता है वह करे, हमें जो करना है हम करेंगे। क्योंकि पिछले तीन सत्रों से सदन लगभग बाधित हो रहा है। इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से कोई सार्थक पहल नहीं हुई है। शीत सत्र को लेकर फिर वही स्थिति है। हालांकि सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने अपने ढंग से तर्क दे रहा है। अपनी-अपनी भूमिका को जायज ठहरा रहा है। कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम का कहना है कि सरकार ने जनहित में शीतकालीन सत्र को बुलाया ही नहीं है। 24 दिसंबर को शोक प्रस्ताव के बाद स्थगित हो जायेगा। शेष दो दिनों में अनुपूरक बजट पास कराना सरकार की प्राथमिकता होगी। सरकार चाहती ही नहीं है कि सत्र लंबा चले। पारा शिक्षकों, अनुबंधकर्मियों समेत जनहित के अन्य मुद्दों पर सदन में चर्चा हो। इसलिए इस सरकारी सत्र में जनता को कोई लाभ नहीं होने वाला है।प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार ने सत्र बुलाकर केवल खानापूर्ति करने का काम किया है। सत्र क्यों बुलायी गयी है, यह एक अहम सवाल है। पहले तो सत्र को बुलाने को लेकर ही संशय था। अब यह चलेगा तब भी कई सवालें अाएंगी। बहुत सारी बातें हैं। अभी रणनीति का खुलासा करना ठीक नहीं है। पर सरकार की नाकामियों, बुराइयों को लोगों ने समझ लिया है। कई ज्वलंत मुद्दों पर सरकार घिरने जा रही है। भाजपा के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर का कहना है कि पिछले तीन सत्र से विपक्ष किसी न किसी मुद्दे को लेकर सदन नहीं चलने दे रहा है। जबकि सत्ता पक्ष शांतिपूर्ण तरीके से सदन चलाने को तैयार है। शीतकालीन सत्र में भी सत्ता पक्ष जनहित के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा को तैयार है। पारा शिक्षक का मामला हो या अन्य, चर्चा के माध्यम से ही कोई हल निकल सकेगा। इसलिए विपक्ष की नजरों में जो भी ज्वलंत मुद्दें है उसे वह बहस के माध्यम से सदन में रखे। झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव का कहना है कि सरकार पहले सेशन बुलाने से ही भाग रही थी। दबाव बनाने पर वह चेहरा बचाने के लिए सत्र बुलायी है। लेकिन पारा शिक्षक, अनुबंधकर्मी, किसान, कानून व्यवस्था से लेकर कई ऐसे गंभीर व ज्वलंत मुद्दे हैं जिसे विपक्ष कैसे सदन में रखेगा और सरकार उस पर क्या जवाब देगी, यह गंभीर सवाल है। फिर भी विपक्ष एकजुट होकर इस सरकार से निजात पाने के लिए अविश्वास का प्रस्ताव लाने का प्रयास करेगा।