सिटी पोस्ट लाइव, रांची: मकर संक्रांति आते ही तिलकुट की सोंधी-सोंधी खुशबू भाने लगती है। तिलकुट की मांग बढ़ने से इसके बनाने वालों के हाथों मे गजब की तेजी आ जाती है। वैसे तो तिलकुट सालोंभर बनते और बिकते हैं। लेकिन, मकर संक्रांति नजदीक आते ही इसकी मांग बढ़ जाती है। तिलकुट के कारीगर दिनरात इसके निर्माण मे जुट जाते हैं। अपने ग्राहकों को संतुष्ट करने के लिए ये कारीगर अपनी मेहनत मे कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते। तिलकुट को लजीज बनाने का राज कारीगरों की मेहनत ही है। तिलकुट को सोंधा और खस्ता बनाने के लिए तिल को खुब भूना और कुटा जाता है। तिलकुट स्वाद से भरपूर होने के साथ-साथ सेहत का खजाना भी है। खासकर ठंड के मौसम मे इसे खाने का अलग ही मजा है। तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जो शरीर से कोलेस्ट्रोल को कम करता है। दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए भी यह बेहद फायदेमंद है। इसीलिए, ठंड के मौसम मे लोग जमकर तिलकुट का सेवन करते हैं।
मकर संक्रांती को लेकर बाजार मे तिलकुट की मांग बढ़ गई है। इसे लेकर शहर के महावीर चौक, अपर बाजार, हरमू बाजार, कचहरी रोड के अलावा शहर के कई स्थानों पर कारीगरों की ओर से तिलकुट,रेवड़ी, तिल पापड़ी तैयार की जा रही है। इसमें 220 से से लेकर 400 रुपये तक के रेंज में तिलकुट गुड़, चीनी, काला तिल, सफेद तिल लड्डू उपलब्ध है। तिलकुट विक्रेताओं ने बताया कि इस बार भी पूर्व के वर्ष की तरह मिलकुट के भाव स्थिर है। बाजार में जो माल का उठाव होना चाहिए था। वो अब तक दिखायी नहीं दे रहा है। मकर संक्रांति को लेकर बाजार में कई स्थानों पर कई लोग गया और स्थानिय कारीगर लगाकर काफी मात्रा में तिलकुट बनानें का कार्य कर इसे अलगअलग नाम के साथ डब्बा पैक कर तिलकुट की थोक व खुदरा बिक्री की जा रही है। वहीं मकर संक्रांति को लेकर बाजार में इस बार दिल्ली का गजक, जयपुर की फिन्नी की कई वेराइटियां उपलब्ध है। इसमे देशी घी, केशर की क्वालिठी की मांग अधिक देखी जा रही है। इसके अलावा घेवर मे साधारण और देशी घी की मांग सबसे अधिक है।