रामगढ़: मुआवजे पर झामुमो और एमपीएल कंपनी आमने-सामने
रामगढ़: मुआवजे पर झामुमो और एमपीएल कंपनी आमने-सामने
सिटी पोस्ट लाइव, रामगढ़: झारखंड में विस्थापन और मुआवजे का मुद्दा काफी रहा है। इस मुद्दे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट तौर पर ग्रामीणों के साथ खड़ा रहने का ऐलान किया है। इसे लेकर गिद्दी थाना क्षेत्र के सात खड़िया आदिवासी टोला के ग्रामीणों के साथ झामुमो ने एमपीएल कंपनी के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। इससे झारखंड मुक्ति मोर्चा और कंपनी आमने-सामने आ गयी है।
रविवार को पार्टी जिला अध्यक्ष विनोद किस्कू ने सीधे तौर पर एमपीएल कंपनी के लिए लिफ्टिंग का काम कर रही बीकेबी को कोयला उठाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा है कि जबतक ग्रामीणों को नौकरी और मुआवजा नहीं मिल जाता है, कोयले की लिफ्टिंग नहीं होगी। वहीं बीकेबी के लिफ्टर सरफुल हक ने विनोद किस्कु पर 20 रुपये प्रति टन रंगदारी मांगने का आरोप लगाया है। गिद्दी कोलियरी से एमपीएल को कोयला उठाने का काम करने वाले बीकेबी के कोयला लिफ्टर सरफुल हक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। सरफुल हक ने कहा कि गिद्दी सी कोलियरी से एमपीएल कंपनी के लिए कोयला उठाने का कार्य कर रहे हैं। 1 दिसंबर से कोयला उठाने का काम शुरू किया, जिसमें लगभग 500 टन कोयला का उठाव हो चुका है। लेकिन 27 दिसंबर को झामुमो रामगढ़ जिला अध्यक्ष विनोद किस्कू और राजेश टुडू द्वारा अपने साथियों के साथ मिलकर गिद्दी सी चेकपोस्ट पर उनके ट्रक को रोक दिया गया है, जो अबतक रूका हुआ है। दोनों ने कंपनी से 20 रुपये प्रति टन की रंगदारी मांगी है और कहा है कि रंगदारी नहीं देने पर काम नहीं होगा।
लिफ्टर ने सीसीएल प्रबंधन पर भी लगाया आरोप
कोयला लिफ्टर सरफुल हक ने स्थानीय सीसीएल प्रबंधन के रवैये पर भी सवाल उठाया है। उसने कहा है कि स्थानीय प्रबंधन का भी सहयोग बिनोद किस्कू और राजेश टुडू को मिल रहा है। प्रबंधन की ओर से डिस्पैच ऑफिसर अयोध्या द्वारा लगातार उसपर दवाब बनाया जा रहा है।
135 एकड़ जमीन का नहीं मिला मुआवजा, कंपनी कर रही काम
इस पूरे मुद्दे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष विनोद किस्कू ने कहा कि सात खड़िया आदिवासी बस्ती में लगभग 75 परिवारों को नौकरी देने की बात सीसीएल प्रबंधन की ओर से कही गई थी। इस गांव के लोगों का लगभग 135 एकड़ जमीन सीसीएल के खदान में चला गया है। पूरा मामला पिछले 12 वर्षों से लगातार चल रहा है। ग्रामीणों ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि मुआवजा और नौकरी अगर नहीं मिलेगा तो वे यहां कोयला लिफ्टिंग का काम नहीं होने देंगे। सीसीएल प्रबंधन ने वहां कोयले का टेंडर तो कर दिया लेकिन ग्रामीणों को आजतक न तो मुआवजा मिला और न ही नौकरी। इस मुद्दे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ग्रामीणों के साथ है। इसी वजह से ग्रामीणों ने ही वहां काम रुकवाया है और झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें अपना समर्थन दे रही है। कंपनी को यह तय करना होगा कि जिसकी जमीन से कोयला निकाला जा रहा है, उसे मुआवजा मिलेगा या नहीं।