पटना नगर निगम के चीफ इंजीनियर का पद खाली, योजना को नहीं मिल रही मंजूरी

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सिटी पोस्ट लाइव : किसी भी शहर को साफ़ सुथरा रखने से लेकर उसमे रहनेवाले लोगों को जरुरी नागरिक सेवायें मुहैया कराने में अनाग्र निगम की बहुत अहमियत होती है.लेकिन पटना नगर निगम राम भरोसे चल रहा है.पटना नगर निगम के चीफ इंजीनियर का पद खाली है. इस वजह से पटना नगर निगम क्षेत्र में कोई भी दो करोड़ से अधिक योजना नहीं बन पा रही है. दो करोड़ से अधिक की योजनाओं की मंजूरी के लिए मुख्य अभियंता का होना  जरूरी है. दो करोड़ से अधिक के कार्य के लिए निगम को  डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करके बुडको को देना पड़ता है. इस पर बुडको की मुहर लगने के बाद काम की प्रक्रिया शुरू होती है.

बुडको  से मंजूरी नहीं मिलने के कारण हड़ताली मोड़ से लेकर राजापुर पुल, कदमकुआं और बेली रोड स्थित शेखपुरा में वेंडिंग जोन निर्माण पूरा नहीं हो सका है.लोगों को पानी उपलब्ध कराने के लिए शहर में 13 जलमीनार का निर्माण नहीं हो सका है.निगम की स्थायी समिति के सदस्य इंद्रदीप कुमार चंद्रवंशी ने मुख्य अभियंता की नियुक्ति के लिए मेयर द्वारा नगर विकास मंत्री और प्रधान सचिव से अनुरोध किया गया है. इसके बावजूद विभाग की ओर से इस पर पहल नहीं की गई है.

पटना सिटी के कटरा जलमीनार से 4950, दीदारगंज जलमीनार से 6870, बेउर से 4530 और गर्दनीबाग जलमीनार से 6300 घरों में कनेक्शन देने की योजना है. कई जगहों पर काम हुआ है. चारों जगह की जलमीनार की लागत करीब 42 करोड़ है. नगर विकास विभाग से जलमीनार निर्माण की अनुमति मांगी गई है, जो अभी तक नहीं मिली है.

हड़ताली मोड़ से बोरिंग कैनाल रोड होते हुए  राजापुर पुल तक वेंडिंग जोन निर्माण का काम ठप है. करीब 13 करोड़ 75 लाख से निर्माण होना है. इसमें पार्किंग के साथ-साथ वेंडिंग जोन बनाना है. दो करोड़ से अधिक की होने के कारण यायोजना विभागीय स्तर पर लंबित है.

रामाचक बैरिया स्थित डंपिंग यार्ड में जमा होने वाले कचरा में अधिक मात्रा प्लास्टिक कचरा की होती है. इसके लिए बड़े पैमाने पर इसके प्रोसेसिंग की व्यवस्था की जरूरत  है. निगम प्रशासन ने इसे देखते हुए बैरिया डंपिंग यार्ड में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र की स्थापना का निर्णय लिया है.

खाजकलां, पटना सिटी सर्किल ऑफिस, मंगल तालाब, मीठापुर, करबिगहिया, सरिस्ताबाद, बहादुरपुर, लोहिया उद्यान और बहादुरपुर सेक्टर-7 में एक-एक जलमीनार का निर्माण होना है. दो करोड़ रुपए से अधिक का बजट है. इसके लिए तकनीकी निविदा निष्पादन के लिए विभाग को भेजा गया है.सभी योजनाओं को मंजूरी का इंतज़ार है.चीफ इंजिनियर के नहीं होने की वजह से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है.

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