सिटी पोस्ट लाइव : पटना हाइकोर्ट ने जमानत के लिए एक मुजरिम के समक्ष अनोखी शर्त रखकर सबको हैरान कर दिया. बेगूसराय जिला के एससी/एसटी एक्ट के तहत आरोपी मनोज कुमार को कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी कि रिहा होने के बाद जिला स्वास्थ्य केंद्र के कोरोना अस्पताल में वो स्वयंसेवक के तौर पर तीन महीने काम करेंगे. जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय ने इस जमानत याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद ये निर्देश दिया.गौरतलब है कि पिछले सप्ताह पटना हाईकोर्ट ने शराबंदी के मामले में एक अभियुक्त को इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह पीएम रिलीफ फण्ड में योगदान देगा.
एक दुसरे मामले में भी पटना हाईकोर्ट ने इसी तरह के शर्त पर एक बीदर को जमानत दी थी. इससे पूर्व भी पटना हाईकोर्ट की इसी बेंच ने पटना के ही एक बिल्डर खालिद राशिद को जमानत ऐसी ही शर्त पर दी थी. हाईकोर्ट के आदेश पर ही राशिद को सिविल कोर्ट में ड्यूटी दी गई थी जिसके तहत उन्हें लेजर थर्मल थर्मामीटर से सिविल कोर्ट में तापमान मापने की ड्यूटी लगाई गई थी.
उसी तर्ज पर बेगूसराय की कोर्ट ने एक व्यक्ति को कोरोना के संकट काल में सेवा करने की शर्त पर जमानत दे दी है.कोर्ट के इस आदेश और जमानत मिलने के बाद मनोज कुमार अब सीधे बेगूसराय सिविल सर्जन कार्यालय में रिपोर्ट करेंगे. आरोपी एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलें में जनवरी 2020 से जेल में था. एससी एसटी थाना के एक मामले में आरोपित मनोज कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस मामले में आरोपी ने जमानत के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी. जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने ये आदेश दिया. अब जमानत पाने वाले मनोज को स्वास्थ्य केंद्र के कोविड-19 अस्पताल में स्वयंसेवक के रूप में 3 माह तक लगातार अपनी सेवा देनी होगी.