यह भी जानकारी मिली है कि खेल संगठनों और सरकार की उपेक्षा के कारण लॉकडाउन के पहले सरिता दूसरे के घरों में दाई का काम आजीविका चलाने को मजबूर थी, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण होने के बाद लोग अपने घर में काम करने आने से मना कर दिया। इसके बाद सरिता ने चाय और पकौड़े की दुकान भी खोली, लेकिन वह भी नहीं चल सका। तेज आंधी ने उस दुकान को भी तोड़ दिया।इसके बाद सरिता के पास और कोई रास्ता ना बचा फिर वह लगातार रेजा का काम करने लगी। बेहद गरीब परिवार की सरिता तिर्की ने पहली बार 2007 में 33वें राष्ट्रीय खेलों में राज्य का प्रतिनिधित्व किया और ब्रॉन्ज हासिल किया था। जबकि झारखंड में 2011 में 34वें राष्ट्रीय खेल में उन्होंने बिहार की ओर से खेलते हुए गोल्ड जीता। इसके बाद फिर केरल में हुए 35वें राष्ट्रीय खेल में उन्होंने झारखंड के लिए खेला और गोल्ड हासिल किया। इसके अलावा 2015 में हुए पांचवें नेशनल लॉन बॉल चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड 2017 में छठी नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड 2019 में आयोजित सातवें नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड सिल्वर जीता। पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में हुए एशिया पेसिफिक चैंपियनशिप में सरिता को ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा था।
यह बात भी सामने आयी है कि सरिता को रहने के लिए अपना घर भी नहीं है और उसके परिजन दूसरे के जमीन पर घर बना कर फिलहाल रहे है। सरिता और उसके परिजनों सरकार की ओर से मदद की उम्मीद है। बताया गया है कि सरिता को 3.72लाख रुपया का पुरस्कार भी मिलने वाला है, इसी कारण उसका नाम कैश अवार्ड या छात्रवृत्ति की सूची में शामिल नहीं किया गया। सरिता ने बताया कि पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में हुए एशिया पैसिफिक चैंपियनशिप में भाग लेने जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे, तब उन्होंने साथी खिलाड़ियों और परिचितों से डेढ़ लाख रुपए उधार लिया है, उन्हें उम्मीद थी कि खेल विभाग की ओर से अगर पैसे मिल जाते तो अवार्ड और छात्रवृत्ति से उधार लिए पैसे वापस कर देतीं, लेकिन ऐसा नहीं होने से मानसिक रूप से काफी परेशान रह रही हैं। सरिता का सपना है कि वह एक बार कॉमनवेल्थ गेम खेले इससे पहले कॉमनवेल्थ गेम के लिए भारतीय कैंप में उनका सेलेक्शन जरूर हुआ था लेकिन वह खेल नहीं पाई है। सरिता अपनी सास के साथ हड़िया (शराब) बेचने में भी हाथ बंटाती हैं, ताकि उसका परिवार का भरण-पोषण चल सके, पति बेरोजगार हैं. इसलिए वह कुछ काम नहीं कर रहे हैं जिससे कोई आमदनी होता तो परिवार चल पाता।