सिटी पोस्ट लाइव : आज पटना के होटल मौर्या में इक्विटी फाउंडेशन एवं श्रीवास्तव परिवार के द्वारा वरिष्ठ आईएएस अधिकारी स्वर्गीय मनोज श्रीवास्तव की याद में “प्रथम मनोज श्रीवास्तव मेमोरियल लेक्चर 2021” का आयोजन किया गया. उनके बड़े पुत्र आई.आर.एस सागर श्रीवास्तव ने सभी लोगों का स्वागत करते हुए इस पहल के बारे में विस्तार से बताया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफ़ेसर अभिजीत विनायक बनर्जी वीडियो कॉल के ज़रिए यूरोप से शामिल हुए.
उन्होंने अपने जेएनयू के सहपाठी से जुड़ी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि वे दोनों इकठ्ठा बैठकर विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर बातचीत किया करते थे और इस दौरान काफ़ी कुछ सीखने को मिलता था. उनमें हर चीज़ की तह में जाकर उसके बारे में जानने की ज़बरदस्त भूख थी. बौद्धिक रुप से सक्षम होने के साथ-साथ उनमें समाज को बदलने की अदम्य इच्छा थी जो जीवनपर्यंत उनके साथ बनी रही. अंतिम व्यक्ति के समुचित विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अनूठी थी. इसी कड़ी में उन्होंने कोविड महामारी की वजह से विकासशील देशों में शिक्षा व्यवस्था को हुए अपार नुकसान की चर्चा की.
2011-2016 के दौरान हुए असर सर्वे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पांचवीं कक्षा के 50 फीसदी छात्र दूसरी क्लास की पाठ्य-पुस्तकें पढ़ने में अक्षम पाए गए. इसके लिए ज़रूरी है कि बच्चों को उनकी ज़रूरत के मुताबिक़ शिक्षा उपलब्ध कराई जाए. हमारे द्वारा बिहार सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में स्कूली शिक्षा को लेकर किए गए शोध अध्ययनों से भी इस बात की पुष्टि हुई है जो मनोज श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गयी ड्राफ्ट पालिसी से मिलती-जुलती थी.
कार्यक्रम में पटना के वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट्स मनोज श्रीवास्तव के सहकर्मियों व साथियों के अलावा एकेडमिक जगत और सिविल सोसाइटी से जुड़े लगभग 200 लोग सम्मिलित हुए और उन्हें श्रद्धांजलि दी. पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं निवर्तमान लोकसभा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अमूमन प्रशासनिक सेवा में प्रतिस्पर्धा की भावना बहुत ज्यादा होती है. लेकिन मनोज जी जैसे अधिकारी अपने कामकाज और सबको साथ लेकर चलने की भावना की बदौलत अजातशत्रु की तरह थे. विभिन्न कैडर के अधिकारीयों द्वारा उनकी प्रशंसा इस बात का प्रमाण है.
राजद के राज्य सभा सांसद मनोज झा ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा की सिविल सेवा में रहते हुए हायरार्की को चैलेंज करना सबसे लिए संभव नही होता. लेकिन मनोज जी ने अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारिओं को बखूबी निभाते हुए भी अपनी जनसरोकारी सोच से कभी समझौता नहीं किया. कांग्रेस के राज्य सभा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि एक आईएएस होने के बावजूद भी उनमे पढ़ने और सीखने की ललक अंतिम समय तक बनी रही. रांची में बतौर डीडीसी किये गए उनके जनकल्याणकारी कार्यों के लिए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने उनकी सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की थी.
सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने उनके भोजपुर के डीएम कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि एक अधिकारी के रूप में उनका जनसरोकार अभिभूत करने वाला था. सूचना का अधिकार बिल आने के पूर्व ईपीडब्ल्यू में आमजन के सशक्तिकरण और समाज में आमूलचूल बदलाव के लिए इनफार्मेशन के महत्व पर उनका लिखा आलेख बेहद प्रभावी था. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त अशोक लवासा जो उनके बैचमेट भी रहे हैं ने मनोज जी को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर एक प्रशासनिक अधिकारी बताया जिनकी कमी आज बहुत खलती है.
बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक व्यासजी ने अपनी स्मृतियाँ साझा करते हुए कहा कि मसूरी के आईएएस अकादमी में मैंने मनोज जी के रूप में जिस जिज्ञासु और बदलाव के लिए तत्पर युवा आईएएस ट्रेनी को देखा था, वह अपने पूरे सेवाकाल में वैसा ही बना रहा. पिछड़े तबके को लेकर उनके कमिटमेंट से वर्तमान प्रशासनिक अधिकारियों को प्रेरणा लेनी चाहिए.
इस अवसर पर बोलते हुए बिहार के मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण काफी भावुक हो गए . उन्होंने कहा किउनकी स्मृतियों में अब भी हर समय उन्मुक्त रूप से हँसने वाले और जिंदादिल मनोज श्रीवास्तव जिन्दा हैं.
इस अवसर पर स्वर्गीय मनोज श्रीवास्तव की पत्नी और इक्विटी फाउंडेशन की निदेशक नीना श्रीवास्तव ने कहा कि यह एक पहल है और इसी बहाने हम उनकी विचारों, सपनों और जन साधारण के लिए उनके कुछ करने की चाहत को पूरा करने की कोशिश करेंगे .
पदम् श्री और प्रसिद्ध चिकित्सक विजय प्रकाश ने कहा कि उनका मनोज श्रीवास्तव के साथ 50 वर्षों से था वो परिवार की तरह थर उनका जाना हमारे लिय अपूरणीय क्षति है. कार्यक्रम का सञ्चालन मधुरिमा राज और मनोज श्रीवास्तव की सुपुत्री रौशनी ने किया. कार्यक्रम का धनयवाद ज्ञापन मनोज श्रीवास्तव के छोटे पुत्र शिखर श्रीवास्तव ने किया.