श्रमिक एवं जन संगठनों द्वारा सरकार के खिलाफ 29 सितम्बर को हड़ताल की घोषणा

City Post Live - Desk

श्रमिक एवं जन संगठनों द्वारा सरकार के खिलाफ 29 सितम्बर को हड़ताल की घोषणा

सिटी पोस्ट लाइव : लोकतांत्रिक न्याय मंच एवं विहार के विभिन्न संगठनों असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन, बिहार राज्य फुटपाथ दुकानदार यूनियन, नेशनल हॉकर्स फेडेरेशन, जनमित्र फुटपाथ दुकानदार संघ, महिला हॉकर्स फेडेरेशन, स्लम विकास मोर्चा, विहार घरेलू कामगार यूनियन, झुग्गी झोपडी शहरी गरीब संघर्स मोर्चा, भोजन का अधिकार अभियान, पटना हॉकर्स यूनियन, हरियाली बाज़ार दुकानदार संघ, पटना जिला फुटपाथ दुकानदार एवं हॉकर्स यूनियन, शहरी गरीब विकास संगठन, दलित अधिकार मंच, एवं अन्य के संयुक्त तत्वाधान में प्रेस संवाददाता सम्मलेन आयोजित किया गया.

प्रतिनिधियों ने प्रेस संवाददाता सम्मलेन को संवोधित करते हुए कहा कि ज्ञातब्य हो कि पिछले महीनों से बिहार सरकार ने उच्च न्यायलय के आदेश का हवाला देते हुए फूटपाथ दुकानदारों को अतिक्रमण के नाम पर बिना उन्हें पुनर्वासित किये हुए उजाड़ देने की प्रक्रिया जारी है. इससे उनकी सामान्य ज़िन्दगी एवं रोजगार व्यवस्था ध्वस्त हो गई है.और इस तरह से उनके खाने पर भी आफत हो गया है. जबकि पथ विक्रेता (आजीविका का संरक्षण एवं पथ विक्रेता का विनियमन) अधिनियम 2014 के तहत स्पष्ट प्रावधान है कि इस अधिनियम के लागु होने के बाद से जब तक सरकार सभी फूटपाथ दुकानदारों को चिन्हित कर उन्हें पहचान-पत्र देनाऔर चिन्हित फूटपाथ दुकानदारों के लिए स्थानीय स्तर पर वेंडिंग जोन बनाकर सभी को व्यवस्थित रूप से रोजगार व्यवस्था सुनिश्चित करना है.

साथ हीं, उक्त अधिनियम के अलोक में स्थानीय और शहर के स्तर पर वेंडिंग समिति को गठित करना है, ताकि फूटपाथ दूकानदार बेहतर तरीके से व्यवस्थितएवं नियंत्रित तरीके से संचालित किया जा सके. इसके लिए बिहार सरकार ने राज्य नियमावली बनाई है, सर्वेक्षण भी किया तथा शहर वेंडिंग समिति भी बनाई, परन्तु अधिनियम के अलोक जो भी कार्य सरकार के मार्फ़त की गयी है उस पर फूटपाथ दुकानदारों एवं उनके मुद्दे पर कार्य करने वाले संगठनो को कड़ी आपत्ति है क्योंकि सर्वेक्षण में सही फूटपाथ दुकानदारों को शामिल नहीं किया गया है तथा समितियों का गठन भी महज खानापूर्ति है. माननीय उच्च न्यालय ने बिहार सरकार को पूर्व में निर्देशित किया की सर्वप्रथम सभी फूटपाथ दुकानदारों के लिए व्यवस्थित बाज़ार की व्यवस्था करें ताकि वे सभी सम्मानपूर्ण तरीके से रोजगार के माध्यम से शहर के लोगों के लिए समुचित सेवा प्रदान कर सके.

दूसरी ओर, फूटपाथ दूकानदार, निर्माण मजदूर, घरेलु कामगार, सफाई-कर्मी, रिक्सा-चालक तथा अन्य अनौपचारिक पेशे में शामिल सभी असंगठित कामगार शहर के मलिन बस्ती व झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं तथा कुछ बेघर मजदूर शहर के रैन बसेरा में भी रहते हैं. विगत दिनों से बिहार सरकार ने मलिन बस्ती व झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीबों के वसाहट को अतिक्रमण के नाम पर उच्च न्यायलय के आदेश का हवाला देते हुए बिना पुनर्वासित किये सब को उजाड़ दिया तथा गरीबों के बस्तियों को उजड़ने की प्रक्रिया जाड़ी है. यहाँ तक की उच्चतम नयायालय के आदेश से बना बेघरों के लिए रैन बसेरा को भी ध्वस्थ कर दिया गया. जबकि बिहार सरकार ने 2011 में मलिन बस्ती निति एवं योजना के तहत शहर के सभी मलिन बस्तियों को चिन्हित कर वैकल्पिक व्यवस्था करने की बात सुनिश्चित की गई है.

ज्ञात हो, बिहार सरकार के आला-अधिकारीयों ने दिनांक 11 सितम्बर 2018 से अब तक पटना शहर के ह्रदय में स्थित आर० ब्लॉक से दीघा हाट के बीच रेलवे लाइन के इर्द-गिर्द बसे लगभग 700 से भी ज्यादा गरीब परिवारों जो की वंचित – दलित समाज से आते हैं, उनके आशियाने पर बुलडोज़र चलाकर उन्हें खुले आकाश के नीचे बेघरों की तरह जीवन-वसर करने को मजबूर कर दिया.यारपुर सहित कई स्थानों पर झुग्गी झोपडी पर बुलडोजर चलने वाला है. इस सन्दर्भ में विगत 15 सितम्बर को शहर में इस मुद्दे पर कार्यरत विभिन्न श्रमिक एवं जन संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक सरकार के अमानवीय और अवैधानिक करवाई के प्रतिरोध में लिए गए फैसले के आलोक में 29 सितम्बर को कामगार हड़ताल की घोषणा की गई है. इन तमाम शहरी गरीब तथा फूटपाथ दुकानदार अपने अधिकारों के लिए दिनांक 29 सितम्बर 2018 को राजधानी पटना में सभी कामगार सरकारी मनमानी के खिलाफ काम नहीं करेंगे और फुटपाथ दुकानदार सडको पर प्रतिरोध करेंगे. साथ ही शहर के बिभिन्न स्थलों पर अपने मांगपत्रों को जनता के सामने रखेंगे और सरकार को सोपेंगे.

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