कानपुर कांड: आरोप-प्रत्यारोप की पोस्ट से भर गया सोशल मीडिया
सिटी पोस्ट लाइव, गाजीपुर: ताबड़तोड़ फायरिंग कर पुलिस अधिकारियों सहित आठ जवानों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे के घटना के 3 जुलाई के बाद मध्य प्रदेश के उज्जैन महाकाल मंदिर से गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। स्थिति यह है कि घटनास्थल से 500 किलोमीटर व गिरफ्तारी स्थल से लगभग 1000 किलोमीटर से अधिक दूरी होने के बावजूद गाजीपुर ही नहीं बल्कि समूचे देश में विकास दुबे के गिरफ्तारी को लेकर पुलिस पर सवालिया निशान उठाने लगे हैं। हालांकि इस घटना के बाद से ही लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर विकास जैसे अपराधियों की पैदाइश के लिए पुलिस व राजनेताओं को जिम्मेदार ठहराया जाना शुरु हो गया था। लेकिन गुरुवार की सुबह गिरफ्तारी के बाद लोग मुखर होकर सोशल मीडिया पर अपने विचार प्रेषित करने लगे।
गौरतलब हो कि गुरुवार की सुबह मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर स्थित महाकाल मंदिर में विकास की गिरफ्तारी के एक पोस्ट में किसी अभिव्यक्ति व्यक्त किया कि “विकास दूबे की नाटकीय गिरफ्तारी दर्शाती है कि विकास दूबे की राजनीति और प्रशासन में आज भी दबदबा कायम है।” वही प्रख्यात सोशल मीडिया एक्टिविस्ट प्रमोद जोशी ने लिखा है कि “विकास दुबे का पकड़ा जाना तो ठीक हुआ है। जानकारियां बाहर लानी हैं, तो उसका जीवित रहना ही ठीक था। पर क्या गारंटी कि जानकारियां सामने आएंगी? आएंगी भी तो वे चुनींदा जानकारी नहीं होंगी, बल्कि पूरी जानकारियां होंगी? हम भूलते हैं कि विकास दुबे व्यक्ति से ज्यादा व्यवस्था का नाम है। यह समझने की जरूरत है कि इस बीच ऐसा क्या हुआ कि पुलिस को उसकी जरूरत आन पड़ी और टकराव ऐसा हो गया कि खून-खराबे की नौबत आ गई। अब कुछ सत्य और काफी अर्ध सत्य सामने आएंगे। देखते रहिए अपने-अपने प्यारे चैनल (जो भी हैं)।”
एक पोस्ट में सवाल उठने लगे कि “जब पुलिस अपने हत्यारे को नहीं मार सकती, तो आप के हत्यारे को क्या सजा दिलाएगी आसानी से सोच लीजिए…” जबकि एक पोस्ट में लिखा मिला कि “माफियाओं को माननीय बनाने वालों पर भी कार्रवाई होगी कभी….” यह तो एक बानगी भर है, जबकि ऐसे सैकड़ों हजारों नहीं लाखों पोस्ट सोशल मीडिया पेज पर तैरने लगे। आखिर में जनता का यह सवाल भले ही पुलिस व राजनेताओं को छू ले और कहीं पुलिस अति उत्साह में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वालों को तड़काने भड़काने का भी काम शुरू कर दें। लेकिन एक बात का तो जवाब पुलिस को भी देना होगा कि घटना के इतने दिन बीत जाने के बावजूद अपने बीच बैठे विकास के खबरी को उसने चिन्हित किया या नहीं। किया तो उसे भी वैसे ही सजा क्यों नहीं जैसी सजा विकास के साथियों को मिल रही है। आखिर पुलिस कब तक अपने बीच बैठे अपराधियों को बचाती रहेगी और समाज में विकास जैसे अपराधियों को पैदा करती रहेगी।
सपा के राष्ट्रीय सचिव व प्रवक्ता राजीव राय ने कहा कि सभी राजनैतिक दल अपराधीकरण को बढ़ावा देते हैं। हालांकि उसके लिए दोषी उन्होंने जनता को ही बताया और कहा कि जनता जब तक ऐसे अपराधियों को वोट देती रहेगी इनका प्रवेश कोई रोक नहीं सकता। वहीं सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति ने स्पष्ट रुप से लिखा कि जब तक पुलिस व राजनेता अपने दरबारों में अपराधियों को ऊंची कुर्सी देते रहेंगे तब तक समाज के हर क्षेत्र में अनगिनत विकास पैदा होते रहेंगे। कुल मिलाकर विकास की गिरफ्तारी के बाद लोगों का गुस्सा खुलकर सामने नजर आने लगा है। हालांकि इस घटना में शहीद जवानों के प्रति लोगों की संवेदनाएं बनी हुई हैं। अब तक लोगों ने अपने को रोक रखा था, लेकिन विकास के तथाकथित नाटकीय गिरफ्तारी के बाद सवाल उठने लाजमी हो गए हैं जिसका जनता जवाब चाहती है।