झाविमो ने की डीजीपी, एडीजी और मुख्य सचिव को चुनाव कार्य से मुक्त रखने की मांग

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झाविमो ने की डीजीपी, एडीजी और मुख्य सचिव को चुनाव कार्य से मुक्त रखने की मांग

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य के पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को चुनाव कार्य से मुक्त रखने की मांग को लेकर झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एल खियांग्ते से मुलाकात की। झाविमो महासचिव बंधु तिर्की के नेतृत्व में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। झारखंड में लोकतंत्र का यह महापर्व निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से संपन्न हो, यह अपेक्षा राज्य के आम मतदाताओं सहित हम तमाम राजनीतिक दलों को भी है। परंतु राज्य सरकार में वर्तमान में उच्चस्थ पदों पर आसीन गंभीर आरोपों से आरोपित अधिकारियों की चुनाव कार्यो में संलिप्तता रहने से निष्पक्ष चुनाव नहीं होने की आशंका दिखती है। राज्य के डीजीपी डीके पांडेय और एडीजी अनुराग गुप्ता गंभीर आरोपों के कारण सवालों के घेरे में हैं। डीजीपी व एडीजी पर अपने पद का दुरूपयोग करने एवं पुलिस सेवा नियमावली का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक रूप से सत्ता पक्ष भाजपा के एजेंट के तौर पर काम करने का गंभीर आरोप है। वहीं तीसरे अधिकारी मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी हैं, जिन्हें सरकार ने सेवा विस्तार देकर उपकृत कर रखा है। चुनाव आयोग के निर्देश पर एडीजी गुप्ता पर राज्यसभा चुनाव-2016 में भाजपा के पक्ष में वोटरों को घूस देने, पद का दुरूपयोग करने व पीसी एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज है। वहीं डीजीपी की संलिप्तता बकोरिया एनकाउंटर मामले में 12 निर्दोष ग्रामीणों की हुई हत्या व 514 फर्जी नक्सली सरेंडर मामले में होने का गंभीर आरोप है। दोषी व दागी अधिकारियों को दंडित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, पंरतु विडम्बना यह है कि इन आरोपित अधिकारियों को सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त है। सरकार कार्रवाई के बजाय उल्टा इन अधिकारियों पर मेहरबानी दिखाते हुए इनके बचाव में लगातार हर मुमकिन प्रयास कर मामले की लीपापोती करती रही है। ताकि सरकार इन अधिकारियों से गलत कार्यो को अंजाम दिलाती रहे। घोर आश्चर्य इस बात को लेकर है कि जब कभी चुनाव आयोग, सीबीआई और हाईकोर्ट का डंडा भी इनके खिलाफ चला, तब भी सरकार केवल कार्रवाई की खानापूर्ति कर अपने दायित्वों का इतिश्री करती रही है। सरकार इन पर कितनी मेहरबांन है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बकोरिया कांड में डीजीपी पर संभावित कार्रवाई देख वह हाईकोर्ट द्वारा दिए गए मामले की सीबीआई जांच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गयी, ताकि सीबीआई जांच रूकवा कर सरकार अपने व डीजीपी के ही मातहत एजेंसी से जांच के नाम पर मामले की लीपापोती कर सके। बंधु तिर्की ने आग्रह किया कि झारखंड में निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए गंभीर आरोपों से घिरे दो पुलिस अधिकारियों व मुख्य सचिव को चुनाव कार्य से पूरी तरह मुक्त रखा जाये, ताकि चुनाव में पूरी पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही राज्य के मतदाता व हम राजनीतिक दल एक प्रतिशत भी इस बात से संशकित नहीं रहें कि चुनाव में किसी स्तर से कोई गड़बड़ी हुई है। प्रतिनिधिमंडल में झाविमो प्रवक्ता योगेन्द्र प्रताप सिंह, सरोज सिंह, तौहिद आलम आदि शामिल थे।

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