झारखंड विधानसभा का एक और सत्र चढ़ा हंगामे की भेंट
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड विधानसभा का एक और सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। राज्य के पारा शिक्षकों के मुद्दे पर विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी सुचारू रूप से नही चला। 24 से 27 दिसम्बर तक चले इस सत्र में सदन की तीन बैठकें हुई। तीनों दिन सदन में पारा शिक्षकों का मुद्दा छाया रहा। दरअसल राज्य के करीब 67 हजार पारा शिक्षक अपनी मांगो को लेकर 16 नवम्बर से आंदोलनरत हैं । इस दौरान दस पारा शिक्षकों की मौत हो चुकी है। सत्र के दौरान पारा शिक्षकों और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर और विपक्ष दोनों एक दूसरे को घेरने में उलझे रहे। विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव के सदन चलाने में दोनो पक्षों से सहयोग करने के बार-बार आग्रह का भी कोई असर नही पड़ा। सदन में शोरगुल और हंगामे के बीच ही चालू वित्तीय वर्ष का द्वितीय अनुपूरक बजट पास हो गया । कई विधेयक भी बिना चर्चा के मिनटों में पारित हो गये। अव्यवस्थित सदन में ही भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कैग की रिपोर्ट रखने की भी औपचारिकता पूरी की गयी। शीतकालीन सत्र के समापन पर अपने संबोधन में विधानसभा अध्यक्ष ने सत्ता पक्ष व विपक्ष के सदस्यों को सदन की गरिमा बनाये रखने की नसीहत दी। उन्होने कहा कि सदन में व्यवधान नि:संदेह खेद का विषय है। आसन की ओर से हमेशा कोशिश की गयी है कि सदन का संचालन सुचारू रुप से हो, पर इसमें सफलता नही मिल रही है। झारखंड विधानसभा का सत्र पिछले तीन साल से सुचारू रूप से नही चल रहा है। सत्र के दौरान कोई न कोई मुद्दा सामने आ जाता है, जिस पर पक्ष-विपक्ष दोनों अड़ जाते हैं। कोई पीछे हटने को तैयार नही होते । विधान सभा अध्यक्ष हर सत्र में इस बात को दोहराते हें कि सदन चलाना पक्ष-विपक्ष दोनों की जिम्मेवारी है। लेकिन सदन में गतिरोध दूर करने के लिये अब तक पक्ष-विपक्ष की ओर से कोई सकारात्मक पहल नही हुई है। मालूम हो कि 2016 के मानसून सत्र से ही विधान सभा का सत्र बाधित है। जनता के सवाल सदन में नही उठ रहे हैं। सदन में गंभीर विषयों पर चर्चा नही हो पा रही है। इस दौरान दो बार निधारित समय से कई दिन पूर्व ही सत्रावसान कर दिया गया।
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