67 हजार पारा शिक्षकों के मामले में मुख्यमंत्री को गलत जानकारी देकर बरगला रहे शिक्षा विभाग के अधिकारी
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के सदस्य संजय दूबे ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी झारखण्ड के 67 हजार पारा शिक्षकों के मामले में मुख्यमंत्री को गलत जानकारी देकर बरगला रहे हैं। छत्तीसगढ़ मॉडल लागू करने से झारखंड के पारा शिक्षकों को नुकसान की बात कही जा रही है, जो गलत और तथ्यहीन है। उन्होंने कहा कि झारखण्ड के 67 हजार पारा शिक्षकों को कार्यानुभव के आधार पर वेतनमान देना है, न कि कोई नयी नियुक्ति करनी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, सभी पार्टी के विधायक दल के नेता से एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा निवेदन करना चाहता है कि कोई भी नियम अधिसूचना की तिथि से लागू होती है न कि पूर्व से। शिक्षा विभाग के अधिकारी बताएंगे कि जो सरकारी शिक्षक टेट उत्तीर्ण नहीं हैं, क्या उनसे टेट की परीक्षा ली जायेगी? या जो सातवीं, आठवीं या मैट्रिक उत्तीर्ण हैं उनसे इंटरमीडिएट की परीक्षा ली जाएगी? क्योंकि पूर्व में भर्ती के समय जो नियम थे, उसे पूरा करके ही उपरोक्त शिक्षक और आरक्षी नियुक्त हुए। ठीक उसी प्रकार शिक्षक नियुक्ति की जो अहर्ता एनसीटीई द्वारा निर्धारित थी, उसे पूरा करते हुए ही झारखण्ड में पारा शिक्षक चयनित हुए। प्रारम्भ में मैट्रिक, इसके बाद इंटर और फिर इंटर प्रशिक्षित पारा शिक्षक चयनित हुए। अब 2011 के बाद बने नियमों को हमारे लिए लागू करना कहीं से भी उचित नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार वार्ता करना चाहती है तो आधिकारिक वार्ता बुलानी चाहिए। मुख्यमंत्री को स्वयं इस वार्ता की अध्यक्षता करनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष और सभी पार्टी के विधायक दल के नेता की मौजूदगी में पारा शिक्षक के प्रतिनिधि तमाम तथ्य और दस्तावेज रखेंगे। इस अवसर पर विनोद बिहारी महतो, ऋषिकेश पाठक, सिंटू सिंह, बजरंग प्रसाद उपस्थित थे।