सिटी पोस्ट लाइव : इन दिनों कृषि विभाग में अजब गजब का फरमान किसान सलाहकारों पर देखने को मिल रहा है अभी हाल के दिनों में कृषि सचिव एन सरवन द्वारा एक पत्र जारी किया गया जिसमें जिला पदाधिकारी एवं जिला कृषि पदाधिकारी को सूचनार्थ किया गया कि किसान सलाहकार से कृषि कार्य के अलावा किसी भी प्रकार के गैर कृषि कार्य जैसे -चुनाव कार्य, विधि व्यवस्था संधारण कार्य, कोरोनाटाइन सेंटर, वैक्सिनेशन, इत्यादि अन्य तरह के सरकारी कार्यों की जिम्मेवारी नहीं देना है और न ही लगाना है।
इस तरह के पत्र पूर्व में भी बर्ष 2013 में सचिवालय स्तर से निर्गत किये गए थे जिनमें निर्देश जिला से लेकर प्रखण्ड स्तर के पदाधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि किसान सलाहकारों से चुनाव, जनगणना, पशुगणना, राशन- किराशन कूपन वितरण सहकारिता बिभाग की धान -गेहूँ अधिप्राप्ती ,विधि व्यवस्था संधारण इत्यादि अन्य सरकारी कार्यो में नही लगाना है ऐसा करने से ये पूर्णकालिक नियमित कर्मी होने का दावा करने लगेंगे और भविष्य में विसंगतियां उतपन्न हो जाएगी।
इस बिषय पर किसान सलाहकारों का कहना है कि पंचायतों में किसान सलाहकार के पद पर पदस्थापित होने के बाद से राज्य सरकार के विभिन्न स्तर के पदाधिकारी एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा सभी तरह के सरकारी कार्यो में लगाया जाता रहा है
उदाहरण स्वरूप- विधान सभा, लोक सभा, एवं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव ,समाजिक आर्थिक जनगणना कार्य, पशु गणना, राशन किराशन कूपन वितरण, करोनाटाइन सेंटर पर प्रतिनियुक्ति, वैक्सिनेशन, बाढ़ आपदा में राहत देने सम्बन्धी कार्य, सहकारिता विभाग की धान-गेहूँ अधिप्राप्ती कार्य बाढ़ सुखाड़ से किसानों की फसल क्षति का सर्वेक्षण सम्बन्धी कार्य इत्यादि सैकड़ों सरकारी कार्य प्रति वर्ष लिए जाते है जिनमें राज्य सरकार से कोई भी अतिरिक्त पारिश्रमिक भी नहीं दिए जाते है के बावजूद इस तरह के कार्यों का मूल्यांकन कर जहाँ सरकार को इसका लाभ किसान सलाहकारों को दिए जाना चाहिए लेकिन ऐसा न कर काम लेने के बाद निर्देशालय स्तर से पत्र जारी कर कहा जाता है कि इस तरह के कार्य किसान सलाहकारों से नहीं लेना है जिससे राज्य के किसान सलाहकार अपने को ठगा महसूस कर रहे है अभी हाल में चुनाव आयोग द्वारा पंचायत चुनाव में भी किसान सलाहकारों को कोषांग कार्यों से लेकर चुनाव कराने सम्बन्धी कार्य में लगाया गया है.
इसके अलावा वैक्सिनेशन सेंटर, यास तूफान से हुये फसलों की क्षति का सर्वेक्षण सम्बंधी कार्य, जोरोटॉलेरेन्स नीति के तहत खाद वितरण ,पंचायत कृषि कार्यालय का संचालन सम्बन्धी कार्यों को कर रहे है। इधर निर्देशालय स्तर से जारी पत्र निर्गत होने के बावजूद भी सम्बंधित पदाधिकारियों के स्तर से अनुपालन नहीं करते हुए सरकार के सभी तरह के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में किसान सलाहकारों की प्रतिनियुक्ति धड़ल्ले से की जा रही है जब किसान सलाहकार इन कार्यो के आलोक में स्वयं को विभाग से पूर्णकालिक कर्मी घोषित करने एवं सरकारी सुविधा देने सम्बन्धी मांग करते है तो विभाग के स्तर से कागजी दस्तावेजों का हवाला दे दिया जाता है कि आप सिर्फ सूचना सलाहकार केंद्र चलाने के लिए मात्र 06 घण्टे प्रति दिवस कार्य करने हेतु रखें गए है जिससे हताहत होकर इस संदर्भ में कृषि सचिव समेत अन्य आलाधिकारी से मार्गदर्शन की मांग बिहार किसान सलाहकार संघ युवा कमिटी के द्वारा की गई है कि इसमें किसान सलाहकारों को सचिव महोदय के स्तर से मार्गदर्शन दिया जाए कि किस तरह से राज्य सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों एवं चुनाव सम्बंधी कार्यो में हिस्सा नही लेना है। क्योंकि किसान सलाहकारों द्वारा अपने स्तर से अगर ऐसा किया जाता है तो उनकी सेवा वरिय स्तर के पदाधिकारी द्वारा समाप्त भी किया जा सकता है । बिहार किसान सलाहकार संघ युवा कमिटी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित कुमार सिंह का कहना है कि किसान सलाहकारो के साथ हो रहे अन्याय एवं जुल्म पर माननीय मुख्यमंत्री महोदय को संज्ञान लेनी चाहिये एवं उचित निर्णय लेकर न्याय करना चाहिए।