कैमूर : एशिया की 100 प्रभावशाली महिला में शुमार हुई हुमा, देश सहित बिहार का नाम किया रौशन

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव : आज जुंबा पर है उसकी तरक्की की कहानी, पर संघर्ष में कोई नहीं देखा उसकी आंखों का पानी. यह कहावत चरितार्थ कर दिखाया है बिहार की बेटी हुमा तनवीर ने . हुमा तनवीर एशिया के 100 प्रभावशाली महिलाओं में चयनित हुई हैं. क्राउन टाइम ऑर्गेनाइजेशन की ओर से आयोजित एशियन टॉप 100 इनफ्लुएंशियल ओमेन अवार्ड आईवा 2021 में लेखनी के क्षेत्र में इस सम्मान को प्राप्त कर बिहार सहित अपने देश का नाम रौशन किया है. इस सम्मान के लिए नामांकन पिछले वर्ष सितंबर में हुआ था. सम्मान प्राप्त होने के बाद उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया.

बधाई देने वालों में आल इंडिया कांग्रेस कमिटी की जेनरल सेक्रेटरी प्रियंका गांधी वाड्रा भी हैं.पूरे एशिया से 300 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुआ. जिसमें 100 प्रभावशाली महिला का चयन हुआ. हुमा को लेखन के क्षेत्र में सम्मान से नवाजा गया. क्राउन टाइम द्वारा वर्चुअल आयोजन कर 100 नामों की घोषणा की गई. जिसके मुख्य अतिथि हिरांशी शाह ( चार्टर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्बिट्रेटर्स यूनाइटेड किंगडम के एसोसिएट सदस्य) थे . हुमा मूल रूप से बिहार के भभुआ जिले के रहने वाली है. उनके पिता तनवीर आलम डी.डी.यू. (मुगलसराय) में मुख्य टिकट निरीक्षक के पद पर कार्यरत है.

हुमा की प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय मुगलसराय से हुई. उन्होंने 2006 में केंद्रीय विद्यालय से दसवीं और 2008 में 12वीं की परीक्षा पास की है. उसके बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय भूगोल में स्नातक की और टूरिज्म से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की. उनकी पहली पुस्तक उन्हें 19 वर्ष की आयु में जब वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई कर रही थी उसी समय उनकी पुस्तक द सोशल एंड कंट्रोवर्शियल इश्यूज का प्रकाशन हुआ था . उनकी अब तक 7 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है. जिसमें HOW TO BECOME REACH ( 2011).

WOMEN ENTERPRENEURSHIP (2011). BODY LANGUAGE (2013). ART OF LIVING (2014). ART OF LIVING (सेकंड एडिशन) (2015). HE LOVED ME ENOUGH TO LET ME GO (2021) में प्रकाशन हुआ है . बीएचयू में अध्ययन के दौरान उन्हें दिल्ली में एक सेमिनार में हिस्सा लेने का मौका मिला . इस दौरान उनकी लेख को जर्मनी के प्रकाशक को पसंद आई और उन्होंने हुमा को लेखन के लिए प्रेरित किया. तब से हुमा की रूचि लेखनी में शुरू हुई. हुमा अपना प्रेरणा भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के साथ-साथ अपने दादा को बताती है . हुमा फिलहाल आईबीएम के गुड़गांव शाखा में सीनियर टेक्निकल राइटर के पद पर कार्यरत हैं.

इसके पहले उन्होंने कई मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर चुकी हैं. आज के मौजूदा हालात बेटियों की पढ़ाई पर चर्चा करते हुए उन्होंने सभी मां-बाप से अपने बेटियों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाने पर जोर दिया. आज लोग बेटियों को बोझ समझते हैं ये गलत है. आज बेटियां अपने मां-बाप का नाम रौशन कर रही है. इस्लाम में लड़कियों की पढ़ाई पर रुकावट के सवाल पर उन्होंने कहा की इस्लाम में कहीं भी लड़कियों की पढ़ाई पर कहीं रोक नहीं है ये सिर्फ गलत धारणाएं है.

विकाश चन्दन की रिपोर्ट

Share This Article