सिटी पोस्ट लाइव, रांची: कोविड-19 की दूसरी लहर में आपात स्थिति से निपटने को लेकर रिम्स परिसर में बनाए गये तात्कालिक कोविड-19 केयर सेंटर के मामले पर झारखंड हाइकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार और रिम्स प्रशासन से यह जानना चाहा कि दूसरी लहर के दौरान बनाया गया 500 बेड का तात्कालिक कोविड-19 अस्पताल जो अभी बंद पड़ा हुआ है, फिर भी प्रत्येक माह कंपनी को 60 लाख का भुगतान किया जा रहा है, यह क्यों किया जा रहा है? इतनी बड़ी राशि बंद पड़े अस्पताल पर खर्च किया जाना क्या उचित है? इस पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में कोविड-19 केयर सेंटर रिम्स परिसर में जो तात्कालिक रूप से बनाया गया है, उस बिंदु पर सुनवाई हुई। अदालत ने मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की।
सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार के अधिवक्ता और रिम्स के अधिवक्ता से यह जानना चाहा कि कोविड-19 के दूसरी लहर के दौरान तात्कालिक रूप से रिम्स के पार्किंग स्थल परिसर में बनाए गए कोविड-19 अस्पताल को अभी तक क्यों बनाए रखा है? इसके लिए प्रतिमाह कंपनी को क्यों भुगतान किया जा रहा है? जिस पर अधिवक्ता ने बताया कि कोविड-19 की आपात स्थिति से निपटने के लिए यह तात्कालिक कोविड-19 अस्पताल बनाया गया था। जिस पर अदालत ने पूछा कि अभी तो वैसी स्थिति नहीं है तो फिर क्यों? अदालत के प्रश्न पर अधिवक्ता के द्वारा सकारात्मक जवाब पेश नहीं किया जा सका। जिस पर अदालत ने राज्य सरकार और रिम्स प्रबंधन को विस्तृत, बिंदुवार और अद्यतन जानकारी अदालत में पेश करने को कहा है।