पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे हुए सेवानिवृत, दी गयी विदाई

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड के पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे मंगलवार को सेवानिवृत हो गए। डोरंडा स्थित जैप वन ग्राउंड में उनके विदाई समारोह का आयोजन किया गया। मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे ने कहा कि वे सेवानिवृत्ति के बाद क्या करेंगे अभी सोचा नहीं है, लेकिन जो भी करेंगे उससे वे सभी के करीब ही रहेंगे।

 

उन्होंने कि पुलिस में अब तक के कार्यकाल में सिपाही से लेकर आइपीएस अधिकारी तक ने उन्हें अच्छी यादें दी हैं। इन यादों को वह अपने दिल में हमेशा के लिए संजो कर रखेंगे। झारखंड पुलिस के जवानों के लिए उन्होंने संदेश दिया कि वह अपने परिवार वह बच्चों का भी ख्याल रखें।

 

अभियान में वह महीनों घर से बाहर रहते हैं, इसके बावजूद जब भी घर लौटे बच्चों को पूरा समय दें। बच्चों में अच्छी शिक्षा और अच्छा संस्कार दें। डीजी कमल नयन चौबे ने वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार, सभी ब्यूरोक्रेट्स विधायिका न्यायपालिका का भी आभार जताया। साथ ही वर्तमान डीजीपी नीरज सिन्हा को विशेष रूप से धन्यवाद दिया और कहा कि जितने गंभीर पदाधिकारी हैं इस महकमे को शिखर तक पहुंचाएंगे । ऐसा उन्हें विश्वास है। ये पद की गरिमा और मर्यादा को आगे भी बनाए रखेंगे।

चौबे ने कहा कि करीब साढ़े तीन दशक खाकी पहने हुए हो गए। आज उससे अलग होते हुए मन भारी हो रहा है। लेकिन खुशी है कि योग्यता के अनुसार खाकी वर्दी की प्रतिष्ठा और इज्जत में आंच न आने दी। बल्कि इसका मान बढाने के लिए ईमानदारी से प्रयास किया है।

अपने कार्यकाल पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों से नक्सली पैर फैलाने की कोशिश करते रहे हैं और हमारी परीक्षा लेते रहे हैं। हमें गर्व है कि शुरुआत के दिनों में जब संसाधनों का अभाव था। तब हमने हमारे पदाधिकारियों ने अपना बलिदान देकर नक्सलियों के खिलाफ कारगर कार्रवाई की।

 

डीजीपी रहते हुए उन्होंने शांतिपूर्ण मतदान कराया। यह भी कहा कि झारखंड एक उद्योग प्रधान राज्य है यह औद्योगिक केंद्र है। अर्बन व इंडस्ट्रियल सेंटर की अपनी परेशानी होती है। इसे भी पुलिस ने बखूबी संभाला। साइबर क्राइम की चुनौतियां सामने आ रही है। पुलिस ने यहां भी निपटने में बेहतर प्रदर्शन किया। इसके बावजूद चाहे हम कितना भी बेहतर करें कितने भी अच्छे हो जाएं। उसमें सुधार की गुंजाइश बनी रहती है। जिनके टैक्स की बदौलत विकास होता है। समय वेतन मिलता है । उनके प्रति भी हमारी जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने झारखंड पुलिस को नसीहत दी कि अगर कोई परेशान व्यक्ति अपनी परेशानी लेकर पुलिस के पास जाता है, तो उसकी परेशानी को धैर्य से सुनने की जरूरत है। पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत है।

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