सहायक अभियंता नियुक्ति के लिए कल होने वाली थी परीक्षा, हाईकोर्ट ने किया रद्द

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने जेपीएससी द्वारा 22 जनवरी को आयोजित सहायक अभियंता की नियुक्ति के विज्ञापन को रद्द करने का फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वर्ष 2019 में सवर्णाें को आरक्षण दिये जाने का कानून लागू किया गया है। इसलिए वर्ष 2019 से पहले निकाले गये विज्ञापन में इस आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। इसके साथ ही अदालत ने जेपीएससी को दोबारा विज्ञापन निकालने का निर्देश दिया। आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने यह फैसला दिया है। कोर्ट ने विज्ञापन को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि वर्ष 2019 में जब कानून को लागू किया गया है तो पिछले वर्षों की वेकेंसी में इस आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में सरकार संशोधित अधियाचना जेपीएससी को भेजे और उसके अनुसार ही जेपीएससी दोबारा विज्ञापन निकाले।

गौरतलब है कि शुक्रवार 22 जनवरी से पूरे राज्य में इसकी मुख्य परीक्षा होनी थी।परीक्षा की तैयारियां कर ली गई थी। 23 फरवरी 2019 को सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया था। उसी के अनुसार नियुक्ति के लिए जेपीएससी को अधियाचना भेजी गई थी, लेकिन इस नियुक्ति में वर्ष 2015 और 2016 की वेकेंसी भी शामिल हैं।  जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और अधिवक्ता प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि सरकार की अधिसूचना के अनुसार ही जेपीएससी ने विज्ञापन निकाला है और इसी के अनुसार नियुक्ति की जा रही है। इस संबंध में रंजीत कुमार सिंह और अन्य ने याचिका दायर की थी।

प्रार्थियों का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सौरभ शेखर ने कहा था कि सहायक अभियंताओं की नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करते हुए आरक्षण की सीमा 60 फीसदी कर दी गई है, जबकि यह रिक्तियां वर्ष 2015 से लेकर 2019 तक की है। 2019 के पहले की रिक्तियों में आर्थिक रूप से पिछड़ों को भी आरक्षण का लाभ दिया गया है, जो गलत है। इस पर सभी लोगों का पक्ष सुनने के बाद 14 दिसंबर को सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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