जेपी केंद्रीय कारा के उच्च प्रकोष्ठ सेल में सजायाफ्ता कैदी ने लगाई फांसी

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जेपी केंद्रीय कारा के उच्च प्रकोष्ठ सेल में सजायाफ्ता कैदी ने लगाई फांसी

सिटी पोस्ट लाइव, हजारीबाग: लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार में सजायाफ्ता कैदी योगेश कुमार चैहान (35) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना मंगलवार की रात्रि करीब 2ः30 बजे जेल के उच्च प्रकोष्ठ सेल में घटी। बुधवार को इस घटना की जानकारी जेल के अधिकारियों और कर्मियों को हुई। घटना की जानकारी के बाद कार्यपालक दंडाधिकारी की मौजूदगी में पंचनामा किया गया और अंत्यपरीक्षण के लिए शव को सदर अस्पताल भेजने की कार्रवाई की जाने लगी। इसी दौरान जेल में मौजूद अन्य कैदी व्यवस्था में खामियों का आरोप लगाते हुए जेल आईजी को बुलाने की मांग पर अड़ गये और मामले की न्यायिक जांच की मांग करने लगे।

कैदियों का कहना था कि मृतक कैदी योगेश की मानसिक हालत ठीक नहीं थी। उसे समय पर दवा नहीं दी गयी। इससे उसने आत्महत्या कर ली। जेल प्रशासन ने कैदियों को समझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन वे लोग नहीं माने। लगातार विरोध किए जाने एवं कैदियों की गिनती का समय गुजरता देख जेल प्रशासन ने पगली घंटी बजाने का काम किया। पगली घंटी बजते ही अफरा-तफरी का माहौल हो गया। जेल अधीक्षक हामिद अख्तर ने बताया कि सदर एसडीओ मेघा भारद्वाज, सदर थाना प्रभारी नीरज कुमार सिंह, लोहसिंघना प्रभारी रोहित सिंह भी पुलिस बल के साथ पहुंचे। हालांकि पुलिस बल जेल के बाहर ही खड़ा रहा। अंदर जाने की अनुमति और जरूरत नहीं समझी गई। जेल अधीक्षक हामिद अख्तर ने बताया कि स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया और मामला शांत हो गया। बंदियों को हटाने के लिए लाठीचार्ज किए जाने की घटना से उन्होंने इनकार किया। साथ ही उन्होंने किसी प्रकार की रोड़ेबाजी की घटना से भी इनकार किया। पगली घंटी बजने के बाद सभी कैदियों को सेलव वार्ड के अंदर भेज दिया गया।
हत्या के मामले का सजायाफ्ता था योगेश
जेल के उच्च प्रकोष्ठ सेल में पाजामा से फांसी लगाने वाला योगेश हत्या के मामले का सजायाफ्ता कैदी था। उसे आजीवन कारावास की सजा धनबाद कोर्ट ने सुनायी थी। जेल अधीक्षक ने कहा कि उसे 2016 में ही हजारीबाग केन्द्रीय कारागार लाया गया था। वह मानसिक रूप से बीमार भी था। उसका इलाज रिनपास रांची से चल रहा था। फांसी लगा लेने के बाद डाक्टरों की टीम द्वारा उसका अंत्यपरीक्षण किया गया।

2 साल बाद बजी पगली घंटी 
जेल अधीक्षक हामिद अख्तर ने कहा कि उनके रहते 2 साल बाद जेल की पगली घंटी बजाई गई है। वैसे तो प्रत्येक माह मॉक ड्रिल को लेकर जेल की पगली घंटी बजाए जाने का प्रावधान है, लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं किया जा रहा है। वे जब केंद्रीय कारागार में पदस्थापित होकर आए तो मॉक ड्रिल के रूप में उनके आने के बाद पगली घंटी बजाई गई। बुधवार को दूसरी बार जेल में पगली घंटी बजाई गई है। वैसे जानकारों का कहना है कि इस जेल में कभी पगली घंटी बजाए जाने की जानकारी उन्हें नहीं है।

 

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