होलिका दहन के लिये बुधवार की रात 8.20 से 12.05 बजे तक शुभ मुहूर्त
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: ग्रहों की विशेष स्थिति बनने के कारण इस बार होली का त्योहार ज्योतिषीय दृष्टिकोण से और भी खास है। 20 मार्च को रात 8 बजकर 20 मिनट से आधी रात तक होलिका दहन के लिए विशेष शुभ मुहूर्त होगा। रांची के बरियातू के पंडित संतोष कुमार मिश्रा उर्फ गणेश बाबा ने बताया कि होलिका दहन भद्रा रहित प्रदोष व्यापनी और पूर्णिमा में करना चाहिए। नारद पुराण में भी इसका जिक्र है। उन्होंने बताया कि इस बार उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में होली मनेगी। यह सूर्य का नक्षत्र है। इससे इस वर्ष देश का सम्मान और दबदबा बढ़ेगा। वीणा योग होने से शिक्षण संस्थान और कला कौशल के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि प्राप्त होगी। होलिका दहन पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र में होगा। यह शुक्र का नक्षत्र है। इस वर्ष होलिका का भस्म सौभाग्य का सूचक होगा। उन्होंने बताया कि 20 मार्च की रात 8 बजकर 20 मिनट से मध्य रात्रि 12 बजकर 05 मिनट तक होलिका दहन करना विशेष शुभ होगा। होलिका दहन के पहले भगवान नरसिंह और प्रह्लाद की पूजा की जाती है। होलिका की अग्नि में चना, जौ, गेहूं और घर में बने पकवान को चढ़ाकर परिक्रमा करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि रवि और वीणा योग में 21 मार्च को रंग खेला जायेगा।
कुछ राशियों के लिए लाभकारी होगी होली
पंडित संतोष के अनुसार होली पर सूर्य मीन राशि में रहेगा, जो कि बृहस्पति की राशि है। होली पर ग्रहों के योग कुछ राशियों के लिए बहुत ही शुभ रहेंगे। इस बार बुधवार और गुरुवार को पड़ने वाली होली से व्यापारियों को लाभ होगा। कर्ज से मुक्ति मिलेगी। आय में वृद्धि होने के भी योग बन रहे हैं। देवगुरु, मंगल के वृश्चिक राशि में होने और गुरुवार होने से कुछ क्रोध की वृद्धि होगी पर मान-सम्मान और पारिवारिक शुभता भी बढ़ेगी। उच्च शिक्षा के योग बन रहे हैं। होलिका की भस्म का लेपन और 5 या 7 परिक्रमा करने से सुख-समृद्धि और चर्म रोगों से मुक्ति मिलेगी। आरोग्यता के साथ समृद्धि की प्राप्ति होगी। बच्चों को लेप लगाने से स्वप्न में नहीं डरेंगे।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होगा नया संवत वर्ष
पंडित संतोष मिश्र ने बताया कि होली के बाद नये संवत 2076 का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को होने जा रहा है। अंग्रेजी तिथि के अनुसार यह 6 अप्रैल से शुरू होगा। वर्ष के प्रारंभ से 23 जून 2020 तक शनि राहू-केतु अक्ष पर रहेंगे। इसके फलस्वरूप वर्षा की कमी, रोगों से आम जनता को कष्ट, चोरों और अपराधियों का आतंक आदि रहेगा। वर्षा के अनावृष्टि-अतिवृष्टि के कारण कृषि कार्य और मजदूर वर्ग पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।