सिटी पोस्ट लाइव : बिहार चुनाव में सीएम की कुर्सी के लिए सियासी जंग शुरू हो गई है. आपको बता दें की विधानसभा चुनाव के लिए शीट शेयरिंग होने के बाद अब टिकट वितरण हो रहा है. यहां पर एक नया गठबंधन बहुजन समाज पार्टी (BSP) राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) का बना है. इसमें पूर्व सांसद देवेंद्र यादव की पार्टी समाजवादी जनता दल (डेमोक्रेटिक) भी शामिल है. सवाल ये है कि बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) जैसी धुरंधर पार्टियों के बीच यह गठबंधन क्या कुछ करिश्मा कर पाएगा? आखिर इनका वोटबैंक क्या है? क्या यह गठबंधन सिर्फ वोटकटवा साबित होगा या फिर वाकई इसमें कुछ दम भी है. आईए इनकी सियासी ताकत का अंदाजा लगाते हैं.
पहले आरएलएसपी की बात करते हैं. यह उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की पार्टी है. जो बिहार में कुशवाहों का बड़ा चेहरा हैं. दरअसल, इस पार्टी के उदय से पहले लव-कुश फार्मूले के आधार पर इस वोटबैंक का ज्यादातर हिस्सा नीतीश कुमार के पास जाता रहा है. वो कोईरी-कुर्मी को भाई-भाई बताकर लंबे समय तक इस वोटबैंक को हासिल करते रहे. यह वोटबैंक उनकी बड़ी ताकत रहा है.
साल 2013 में आरएलएसपी बनने के बाद इसकी छवि कुशवाहा पार्टी की बन गई. चुनावी सर्वे करने वाली संस्था सीएसडीएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में कोईरी-कुर्मी लगभग 11 फीसदी है. 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद हुए एक सर्वे में पता चला था कि इसका 7 फीसदी वोट यूपीए, 70 फीसदी एनडीए और 23 फीसदी अन्य को मिला था.
बसपा और एआईएमआईएम के जरिए इस गठबंधन की नजर अनुसूचित जाति और मुस्लिम वोटबैंक पर भी लगी हुई है. बसपा को तो अनुसूचित जाति के एक धड़े का वोट मिलता रहा है, जबकि वहां उसका मजबूत संगठन नहीं है. देखना ये है कि इस बार ये पार्टियां मिलकर कुछ कर पाएंगी या नहीं.
आपको बता दें साल 2005 के विधानसभा चुनाव में मायावती (Mayawati) की पार्टी बसपा ने 4.50 वोट हासिल किया. 2010 में 3.27 फीसदी और 2015 में उसका वोट महज 2.21 फीसदी ही रह गया.
>>सन 2000 के चुनाव में बसपा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था जब उसके 5 विधायक बने थे.
>>2015 में आरएलएसपी 23 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इनमें से उसे सिर्फ 2 सीट पर जीत हासिल हुई थी. जितने सीटों पर चुनाव लड़ा उसमें उसे 27.50 परसेंट वोट मिले थे.
>>एआईएमआईएम ने 6 सीट पर चुनाव लड़ा था और उन पर उसका वोट प्रतिशत 8.04 था.
>>लोकसभा चुनाव-2019 में बहुजन समाज पार्टी को 1.71 फीसदी वोट मिले. एआईएमआईएम को 0.74 और आरएलएसपी को 3.66 फीसदी वोट मिले थे.