सिटी पोस्ट लाइव : आरजेडी की बैठक में ये बात भी सामने आयी कि एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने बीजेपी के एजेंडे को पूरा किया और जेडीयू को नुकसान पहुंचाया। हकीकत है कि नीतीश कुमार का वोट तो बीजेपी को मिला पर बीजेपी का वोट नीतीश के बदले चिराग के उम्मीदवारों को मिल गया।इस वजह से पहली बार बीजेपी को नीतीश कुमार की वजह से एक मजबूत जमीन मिल गई।वहीं बैठक में ये भी बात उठी कि कांग्रेस का जो हाल हुआ है, उससे अब बीजेपी का विकल्प बनने की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए।
सत्ता की दहलीज तक आते-आते रह गया आरजेडी अब हार की समीक्षा में जुट गया है। शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हार चुके उम्मीदवारों के साथ बैठक की। पूर्व सीएम राबड़ी देवी के सरकारी आवास दस सर्कुलर रोड में हुई इस बैठक में प्रदेश आरजेडी अध्यक्ष जगदानंद सिंह भी मौजूद थे।
इस चुनाव में पार्टी 144 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। पार्टी को 75 सीटों पर जीत हासिल हुई जबकि 69 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इन सीटों पर पार्टी को किन कारणों से पराजय का सामना करना पड़ा, इसी को लेकर राजद ने समीक्षा की। खासकर वैसी सीटें जहां मामूली अंतर से पार्टी को हार मिली। आखिर किन परिस्थितियों में पार्टी को कम वोटों से हारना पड़ा, इस पर विमर्श हुआ। तेजस्वी ने हार के कारणों का निदान करने की बात कही ताकि भविष्य में पार्टी का प्रदर्शन और बेहतर हो सके।
आरजेडी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने कहा है कि इस चुनाव को कई बातों के लिए इतिहास में दर्ज किया जाएगा। सबसे पहले यह कि तेजस्वी यादव का अप्रत्याशित रूप से एक मजबूत नेता के रूप से उभकर सामने आना। तीन माह पहले तक लोग यह मानकर चल रहे थे कि तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले गठबंधन के मुकाबले में खड़े भी नहीं हो पाएंगे। लेकिन जिस प्रकार तेजस्वी ने चुनाव का अभियान चलाया, उससे उनकी एक नई छवि उभर कर सामने आई।
उन्होंने कहा कि पहली बार बीजेपी को नीतीश कुमार की वजह से एक मजबूत जमीन मिल गई। चिराग पासवान ने जेडीयू को नुकसान पहुंचाया, आंशिक सत्य है। पूरा सत्य तो यह है कि चिराग ने बीजेपी के ही एजेंडा को पूरा किया है। हकीकत है कि नीतीश कुमार का वोट तो बीजेपी को मिला पर बीजेपी का वोट नीतीश के बदले चिराग के उम्मीदवारों को मिल गया। पीएम या जेपी नड्डा ने एक बार भी नहीं कहा कि चिराग के उम्मीदवार को वोट देने वाले बीजेपी और नरेंद्र मोदी के विरोधी हैं। कांग्रेस का जो हाल हुआ है, उससे अब बीजेपी का विकल्प बनने की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। गैर बीजेपी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच समन्वय कर एक राष्ट्रीय विकल्प बनाने की दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए।