बिहार में कोरोना जांच का सच जान माथा पीट लेंगे आप, जानिये क्या होता है खेल?

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है.सरकार हर रोज  एक लाख से ज्यादा लोगों के टेस्ट भी कराए जाने का दावा भी कर रही है .लेकिन  ये जांच किन-किन तरीकों से किए जा रहे हैं, इसका खुलासा नहीं किया जा रहा. कोरोना जांच के चार तरीके हैं.जिनमें सबसे ज्यादा प्रभावी है Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction यानी RT-PCR। दूसरे नंबर पर आता है एंटीजेन (Antigen या AG). ट्रूनेट (True NAT) मशीन से भी कोरोना की जांच की जाती है. जबकि Antibody जांच से ये पता लगाया जाता कि पहले कभी कोरोना हुआ था या नहीं.

ये बताने की जरुरत नहीं है कि  RT-PCR जांच सबसे ज्यादा भरोसेमंद है. लेकिन बिहार सरकार की रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं रहता कि कितने जांच RT-PCR से हुए, कितने AG से और कितने True NAT मशीन से. बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति भी ये बताने को तैयार नहीं है कि कितने जांच RT-PCR से, कितने AG से और कितने True NAT मशीन से हुए.

सच्चाई ये है जिलों में RT-PCR जांच न के बराबर हो रही है. पटना में जिनकी जांच हो रही है उनकी रिपोर्ट 4-5 दिनों में मिल रही है. कई मामलों में तो देखा गया कि जब रिपोर्ट आई, तब तक मरीज दुनिया से विदा हो गया. जिलों में अगर कोई RT-PCR जांच कराता है तो साफ-साफ बता दिया जाता है कि 7-10 दिन में रिपोर्ट मिलेगी. जबकि नियम के मुताबिक 24 घंटे में RT-PCR की रिपोर्ट आ जानी चाहिए.औरंगाबाद में तो RT-PCR की जांच ही नहीं होती है. यहां ट्रू नेट और रेपिड एंटीजन टेस्ट किट से जांच होती है.सच्चाई ये है कि RT-PCR के अलावा और कोई जांच भरोसेमंद नहीं है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कंकड़बाग के छोटी पहाड़ी पर स्थित एक नामचीन निजी जांच लैब में RT-PCR जांच के सैंपल देने गए शख्स से जांच के नाम पर 2250 रुपए वसूल लिए. मुजफ्फरपुर स्थित एक निजी जांच लैब ने RT-PCR जांच के नाम पर 1500 रुपए वसूले. स्वास्थ्य विभाग के आदेश के मुताबिक 800 रुपए में RT-PCR जांच करनी है. घर से सैंपल लेने पर 300 रुपए अतिरिक्त देना होगा. एंटीजन टेस्ट के लिए 250 रुपए तय है.

RT-PCR टेस्ट- RT-PCR टेस्ट का पूरा नाम है रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमियर्स चेन रिएक्शन। इसकी जांच लैब में की जाती है। इस टेस्ट के जरिए व्यक्ति के शरीर में वायरस का पता लगाया जाता है। इसमें वायरस के आरएनए (Ribonucleic Acid) को डीएनए (Deoxyribonucleic Acid) में बदल कर जांच की जाती है. क्योंकि कोरोना वायरस का डीएनए नहीं होता है. इसलिए इसमें समय लगता है. ज्यादातर सैंपल नाक और गले से म्यूकोजा के अंदर वाली परत से स्वैब लिया जाता है. कोरोना में इस जांच को सबसे ज्यादा विश्वसनीय माना जाता है.

Antigen टेस्ट- एंटीजन टेस्ट के नतीजे 15-30 मिनट के भीतर आ जाते हैं. जांच में रिपोर्ट अगर निगेटिव आती है तो उसे फाइनल नहीं माना जाता. इस टेस्ट की आरटीपीसीआर जांच होती है. एंटीजन टेस्ट में व्यक्ति की रिपोर्ट अगर पॉजिटिव आती है तो उसे संक्रमित मान लिया जाता है. इस टेस्ट में व्यक्ति की नाक के दोनों तरफ से फ्लूइड का सैंपल लिया जाता है. स्ट्रिप पर एक रेड लाइन आने पर रिपोर्ट निगेटिव मानी जाती है. दो रेड लाइन आती है तो व्यक्ति को संक्रमित माना जाता है. इसके साथ दिक्कत है कि कई बार पॉजिटिव मरीज का रिपोर्ट भी निगेटिव दे देता है.

True NAT टेस्ट – ट्रू-नेट मशीन के जरिए कोरोना टेस्ट किया जाता है. अब तक इस मशीन से टीबी और एचआईवी संक्रमण की जांच की जाती थी. अब कोरोना का स्क्रीन टेस्ट किया जा रहा है. नाक या गले से स्वैब लिया जाता है. इसमें वायरस के न्यूक्लियिक मटीरियल को ब्रेक कर डीएनए और आरएनए जांचा जाता है. रिजल्ट आने में करीब तीन घंटे का वक्त लगता है. निगेटिव होने पर आरटी-पीसीआर जांच भी की जा सकती है.

पहले हुए कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है. संक्रमित व्यक्ति का शरीर लगभग एक सप्ताह बाद लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है. 9वें दिन से 14वें दिन तक एंटीबॉडी बन जाती है. इसमें ब्लड का सैंपल लिया जाता है. एक घंटे में इसकी रिपोर्ट भी आ जाती है. इससे यह पता चलता है कि व्यक्ति को कभी इंफेक्शन हुआ था या नहीं.

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