सिटी पोस्ट लाईव :पूरी दुनिया में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है .गुरुवार यानी कल योग दिवस मनाने की तैयारी में पूरी दुनिया जुटी है.ऐसे में भला बिहार पीछे कैसे रह सकता है ,जो योग की जननी है,जहाँ विश्व का सबसे महत्वपूर्ण सर्वश्रेष्ठ योग विद्यालय अवस्थित है. योग को आगे बढ़ाने में जिसका सबसे बड़ा योगदान है वह है बिहार का मुंगेर स्थित ‘बिहार स्कूल ऑफ योग’ . विश्व मानवता को योग परंपरा से अवगत कराने के लिए स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने 1963 में बिहार योग विद्यालय की स्थापना मुंगेर में की थी
बिहार के मुंगेर के किला परिसर में एक पहाड़ी पर गंगा की किनारे अवस्थित बिहार योग विद्यालय योग संस्कृति की धरोहर है.यह आज विश्व गौरव का प्रतीक बन चूका है. सांख्य, पतंजलि और गीता के योग दर्शन पर आधारित यह संस्थान विज्ञान, चिकित्सा और मनोविज्ञान का समन्वय कर आज योग की व्यावहारिक शिक्षा दे रहा है. विश्व के सौ से अधिक देशों में इसकी शाखाएं हैं.
बिहार योग विद्यालय की स्थापना का जो सपना स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने देखा था वह आज साकार हो चूका है.योग भविष्य की संस्कृति बन चुकी है. योग को मिली विश्वव्यापी प्रसिद्धि को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया है. बिहार योग विद्यालय की स्थापना के समय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने कहा था कि योग भविष्य की संस्कृति बनेगी. उनकी कही यह बातें आज सच हो रही हैं. योग को मिली विश्वव्यापी प्रसिद्धि को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया है.
बिहार योग विद्यालय का संचालन इस समय स्वामी निरंजनानंद सरस्वती के निर्देशन में हो रहा है. योग संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें इसी साल पद्मभूषण से सम्मानित किया गया. बिहार योग विद्यालय का संचालन इस समय स्वामी निरंजनानंद सरस्वती के निर्देशन में हो रहा है. योग संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें इसी साल पद्मभूषण से सम्मानित किया गया.
महायोगी स्वामी सत्यानंद के शिष्य निरंजनानंद का जन्म छत्तीसगढ़ के राजनांद गांव में 1960 में हुआ था. चार साल के उम्र में उन्हें स्वामी सत्यानंद अपने साथ बिहार योग विद्यालय लेकर आए थे. 1995 में स्वामी सत्यानंद के उत्तराधिकारी बने. योग को घर-घर पहुंचाने के लिए उन्होंने 1995 में ही बाल योग मित्र मंडल की स्थापना की. बाल योग मित्र मंडल के लगभग 80 हजार बच्चे आज योग के प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं.
बिहार योग विद्यालय की स्थापना के समय लोगों की यहीं धारणा थी कि योग केवल साधना साधू -संन्यासियों के लिए है. लेकिन स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने जनमानस को नया संदेश दिया. उन्होंने बताया कि योग जीने की कला है, जीवन पद्धति है, जीवन का विज्ञान है. इसके बाद स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने योग को जन-जन तक पहुंचाने की बीड़ा उठाया . उन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि विश्व भर में योग का प्रचार-प्रसार किया.
आज यह योग संस्थान योग शिक्षा के क्षेत्र में पूरे विश्व में अपनी खास पहचान बना चूका है. विश्व के कोने कोने से लोग योग का प्रशिक्षण लेने यहां आते हैं. यहां साल के अलग-अलग महीनों में योग सत्र भी संचालित किये जाते हैं. आज विश्व में करिब 70 से अधिक देशों में योग आश्रम की शाखाएं फैली हुई है. 2013 में मुंगेर की धरती पर विश्वयोग सम्मेलन का आयोजन बिहार स्कूल ऑफ योगा के द्वारा करवाया गया था , जिसमें 70 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था.