बिहार में किंगमेकर हैं यादव, नीतीश कुमार ने लगा दिया है बड़ा दांव.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव :बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2020) में बाजी वहीँ मारेगा जिसके पक्ष में जातीय समीकरण होगा.बिहार की सियासत हमेशा जाति के ऊपर ही आधारित रही है. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने जिस यादव-मुस्लिम (M-Y) समीकरण के जरिए 15 साल तक राज किया था, उसे एकबार फिर से तेजस्वी यादव आजमा रहे हैं. आरजेडी (RJD) के इस परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए सत्ता पक्ष ऐड़ी-छोटी का जोर लगाए हुए है. इसी रणनीति के तहत जेडीयू ने चुनाव में 19 और बीजेपी ने 15 यादवों को मैदान में उतारा है.पप्पू यादव  भी यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में हैं.यादवों को अपने पाले में बनाए रखने के लिए य पहले से और भी ज्यादा मजबूती के साथ जोड़े रखने के लिए तेजस्वी यादव ने एक बार फिर यादवों पर भरोसा जताया है. आरजेडी ने MY समीकरण को खास तवज्जो देते हुए 52% सीटें यादव-मुस्लिम को ही दी हैं, जिसमें यादव उम्मीदवार सबसे ज्यादा हैं. तीनों चरण में 58 यादव और 17 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में होंगे.

आरजेडी-जेडीयू ने इस बार पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले ज्यादा यादव उम्मीदवार उतारे हैं. पिछली बार आरजेडी ने 48 सीटों पर यादवों को टिकट दिए थे, जिनमें से से 42 जीतने में सफल रहे थे, जबकि इस बार आरजेडी के 58 यादव उम्मीदवार हैं.  जेडीयू ने पिछले विधानसभा चुनाव में 12 टिकट यादवों को दिए थे, जिनमें से 11 ने जीत दर्ज की थी. इस बार जेडीयू ने 19 यादव उम्मीदवार उतारे हैं. हालांकि, बीजेपी ने यादवों को टिकट देने में दिलेरी नहीं दिखाई है.दरअसल,पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 22 टिकट यादवों को दिए थे, जिनमें से 6 जीते थे, जबकि इस बार बीजेपी ने 15 यादव उम्मीदवार ही उतारे हैं. वहीं पिछली बार कांग्रेस ने 4 पर यादव प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से दो जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, इस बार भी कांग्रेस ने सवर्णों पर ही भरोसा जताया है.

लेकिन इसबार समीकरण बदल गया है.पीछलीबार नीतीश कुमार RJD के साथ थे और 12 यादवों को टिकेट दिया था. 11 यादव जेडीयू से जीते भी थे.लेकिन इसबार जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हैं, उन्होंने तेजस्वी यादव के माय समीकरण में सेंधमारी की नियत से 19 उम्मीदवार उतारे हैं.राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इसबार यादव मजबूती के साथ RJD के साथ खड़े हैं इसलिए जेडीयू के टिकेट से यादव प्रत्याशियों का चुनाव जितना आसान नहीं होगा.

तेजस्वी यादव ने इसबार के चुनाव में राजपूत-भूमिहार समाज को भी साथ लेकर चलने की कोशिश की है.2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान यादवों को अपने पाले में लाने के लिए लालू ने जिस अनंत सिंह को गिरफ्तार करवाया था, जिस अनंत सिंह पर हर चुनावी मंच से यादव की हत्या करने का दोषी बताते रहे, आज उसी अनंत सिंह को तेजस्वी यादव ने  गले लगा लिया है. मोकामा से अनंत सिंह  आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.इसबार कई भूमिहार, राजपूत और ब्राह्मण चेहरे को तेजस्वी ने मैदान में उतारा है.

बिहार चुनाव में यादवों की अहम भूमिका रही है. माना जाता है कि यादवों का एकमुश्त वोट जिधर जाता है, सत्ता में उसकी भूमिका उतनी ही अहम हो जाती है.बिहार की सियासत में 15 फीसदी यादव मतदाता किंगमेकर माना जाता है. पिछली बार के चुनाव में सबसे ज्यादा अगर किसी जाति का विधायक बना था तो वह यादव जाति का था. 243 सदस्यीय विधानसभा में सबसे ज्यादा 61 यादव विधायक चुनकर आए थे.बिहार के आधे से अधिक जिलों की विधानसभा सीटों पर यादवों का प्रभाव माना जाता है.बिहार की 243 सीटों में 98 सीटें यादव बाहुल्य हैं, 147 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां यादवों का प्रभाव माना जाता है. साल 2000 में बिहार में यादव विधायकों की संख्या 64 थी, जो 2005 में 54 हो गई और फिर 2010 में संख्या घटकर 39 पर आ गई थी. लेकिन, 2015 में बढ़कर फिर 61 तक पहुंच गई, ऐसे में 2020 के रण में इस बार भी नजरें यादवों पर हैं.

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