ननद-भाभी के अचार का कमाल, टीवी शो से मिले 85 लाख.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव :जब पूरी दुनिया करीब डेढ़ साल पहले कोविड के चपेट में थी और लोगों के रोजी रोटी पर आफत आई थी, उस दौरान कल्पना झा और उमा झा की ननद भौजाई की जोड़ी कामयाबी की नई अबारत लिख रही थी.कोरोना काल में दोनों ने मिलकर महज चंद हजार रुपयों से अचार का ऑनलाइन बिजनेस शुरू कर आत्मनिर्भर बनने का सफल प्रयास किया. शुरुआती दिनों में दो चार लोगों के सहयोग से मिलकर पांच प्रकार के अचार बनाकर दोनों ने ‘झा जी’ अचार के नाम से प्रचार-प्रसार किया. ऑनलाइन आर्डर मिलने पर अपना अचार लोगों तक पहुंचाने का काम भी शुरू कर दिया. लिहाजा बाजार में धीरे-धीरे डिमांड बढ़ती चली गई. जिसके बाद इन दोनों ने बेहद ही कम समय में ‘झा जी’ अचार को दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरु सहित कई अन्य बड़े शहरों तक पहुंचा दिया.

इन दोनों के ‘झा जी’ ब्रांड को मुख्य पहचान तब मिली जब मशहूर टीवी शो ‘शार्क टैंक’ से ननद-भाभी की जोड़ी को बुलावा आया. इस शो में दोनों ने ‘झा जी’ अचार के व्यवसाय एवं प्रमोशन के लिए आर्थिक मदद मांगी, इस शो का प्रसारण भी किया गया पर इन्हें वहां कोई आर्थिक मदद तो नहीं मिली. लेकिन, नेशनल टीवी पर आने के बाद नाम और प्रचार से इनके हौसले को मानो पंख ही लग गए. अचार की मांग और बढ़ती चली गई. इस दौरान टीवी शो सार्क टैंक के सदस्य उनके घर दरभंगा पहुंच गए जहां उन्होंने ननद-भाभी की 85 लाख रुपए के रूप में आर्थिक मदद की.

इस आर्थिक मदद के बाद कल्पना झा और उमा झा ने अपने अचार के बिजनेस को एक फैक्ट्री के तौर पर विस्तार करने में जुट गई है. अब विदेशों में भी ‘झा जी’ अचार का मार्केटिंग शुरू कर रही हैं. ये लोग बताती है कि विभिन्न शहरों से ‘झा जी’ अचार की मांग बहुत ज्यादा है, आर्डर पूरा करना संभव नहीं हो पा रहा है. अलबत्ता इस आर्थिक मदद को पाकर कल्पना झा और उमा झा ने अपने अचार के बिजनेस को एक फैक्ट्री के तौर पर विस्तार करने में जुट गई है. अब विदेशों में भी ‘झा जी’ अचार का मार्केटिंग शुरू कर रही हैं. ये लोग बताती है कि विभिन्न शहरों से ‘झा जी’ अचार की मांग बहुत ज्यादा है, आर्डर पूरा करना संभव नहीं हो पा रहा है.

नीबूं, इमली, लहसुन, आम और आंवला जैसे कई किस्म के लजीज एवं जायकेदार झाजी आचार आज देश के विभिन्न हिस्सों में खाने में परोसे जा रहे है. कहते हैं न जब आपके अरमानों में पंख लग जाते हैं तो किस्मत परवान चढ़ जाता है. लिहाजा अपने इस व्यापार के योजना पर काम जारी है. उमा और कल्पना बिल्कुल देशी तरीके से अचार बनाती है और उसे पहले धूप में सुखाती है. उसके बाद अचार को पूरी तरह तैयार कर पैक करती है. आपको बता दें कि, अपने साथ सैकड़ों महिलाओं को अपने इस स्वरोजगार के माध्यम से उन्हें रोजगार देने का एक बड़ा प्रयास किया है .

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