सिटी पोस्ट लाइव :2009 के लोकसभा चुनाव में बिहार में RJD ने कांग्रेस पार्टी को आखिरी समय में गच्चा दे दिया था.कांग्रेस के लिए केवल तीन सीटें छोड़कर उसे अकेला चुनाव मैदान में उतरने के लिए मजबूर कर दिया था.उस दौरान चुनाव प्रचार करने बिहार आये वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी (Pranab mukherjee) ने 21 अप्रैल, 2009 को समस्तीपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अब लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का अगली किसी सरकार में शामिल होना भी मुश्किल होगा.
प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि लालू जी की सरकार बनाने की बात तो दूर की है, उनका तो अब किसी सरकार में शामिल होना भी मुश्किल है क्योंकि वह अभी किसी के साथ नहीं हैं. दरअसल प्रणब मुखर्जी ने लालू यादव याद दिलाया था कि एनडीए के शासनकाल के दौरान आरजेडी की सरकार बर्ख़ास्त होने जा रही थी और तब सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी ही उनके समर्थन में उठ खड़ी हुई थी. मुखर्जी ने स्पष्ट किया कि अगर लालू कांग्रेस को सिर्फ़ एक पायदान की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं तो कांग्रेस इसे स्वीकार नहीं करेगी.
दरअसल कांग्रेस की ये तल्खी इसलिए थी कि तब प्रधानमंत्री पद की दौड़ को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने यह कहकर नया ट्विस्ट दे दिया था कि मनमोहन सिंह को अभी से देश का अगला प्रधानमंत्री नहीं मान लेना चाहिए इसका फ़ैसला चुनाव के बाद यूपीए के घटक दल करेंगे.हालांकि जब उनके इस बयान का पता चलने पर तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद ने भी जवाब दिया और कहा, ये तो वक़्त ही बताएगा कि सरकार में कौन शामिल होगा. लालू के इस बयान के बाद यह भी साफ हो गया था कि लालू कांग्रेस के लिए बेहद अहम थे. इस बात का अंदाजा तब लगा था जब कुछ दिन बाद ही अपने इस बयानसे प्रणब मुखर्जी अपने बयान से पलट गए थे.
तब प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि वह लालू के बारे में कुछ भी बुरा नहीं कहना चाह रहे थे, लेकिन उनकी टूटी फूटी हिंदी के चलते ग़लत संदेश चला गया. अपनी सफ़ाई में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि, कल मैं समस्तीपुर में था और मेरे एक बयान से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई. शायद मेरी टूटी-फूटी हिंदी इस भ्रम के लिए ज़िम्मेदार हैं.