सिटी पोस्ट लाइव :राजस्थान में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी दो धडों में बाँट गई है.राजस्थान की गहलोत सरकार खतरे में दिख रही है. दो धड़ों में खींचतान के कारण सरकार पर संकट पैदा होता दिख रहा है.बीते दो दिनों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मतभेद बढ़ने के बाद डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपने नज़दीकी विधायकों के साथ दिल्ली का रुख़ किया है.लेकिन फिर भी राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनने का कोई चांस नहीं है.
मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान किसी से छिपी नहीं है. साल 2018 में हुए चुनावों में कांग्रेस की जीत के साथ ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट सीएम पद को लेकर आमने-सामने आ गए थे.कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी दी थी और सचिन पायलट को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा था.सचिन पायलट इस समय कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी हैं और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री भी हैं.
सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच आंतरिक प्रतिद्वंदिता चलती रही है.लेकिन राज्य की पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानी एसओजी की ओर से ‘सरकार गिराने की कोशिशों के आरोपों की जांच’ में मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री को पूछताछ का नोटिस जारी होने के बाद से ये तनाव चरम पर पहुंच गया है.दरअसल राज्य में कथित हॉर्स ट्रेडिंग (विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त) के प्रयासों की जांच कर रही एसओजी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, पार्टी के चीफ़ व्हिप के अलावा कई मंत्रियों और विधायकों को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक ट्वीट में कहा है कि ये नोटिस सामान्य बयान देने के लिए आए हैं और मीडिया में इसकी अलग ढंग से व्याख्या की जा रही है.
200 विधायकों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं. इनमें बसपा के छह विधायक भी शामिल हैं जो अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए हैं. इसके अलावा प्रदेश के 12-13 स्वतंत्र विधायकों का समर्थन भी गहलोत सरकार को हासिल है.यानी यदि संख्या की बात की जाए तो गहलोत सरकार मज़बूत स्थिति में है. 2018 के चुनावों में बीजेपी ने 73 सीटें जीती थीं. अभी की स्थिति में कांग्रेस गठबंधन के पास बीजेपी के मुक़ाबले 48 विधायक अधिक हैं.लेकिन राजनीति के कुछ जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट के साथ 25 विधायक हैं तब भी अभी की स्थिति में गहलोत सरकार को ख़तरा नहीं है.
दरअसल, राजस्थान में स्थिति मध्य प्रदेश जैसी नहीं है जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच अंतर बहुत कम था. यहां अगर सचिन पायलट अपने क़रीबी विधायकों के साथ अलग हो भी जाते हैं तब भी वो सरकार गिराने की स्थिति में नहीं हैं. हो सकता है सचिन पायलट के बीजेपी के संपर्क में लेकिन सवाल ये है कि वो बीजेपी को ऑफ़र क्या करेंगे और बदले में क्या चाहेंगे. ये सर्वविदित है कि वो प्रदेश के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. लेकिन अभी की स्थिति में संख्याबल उनके साथ नहीं है.”ऐसे में राजस्थान में चल रहा मौजूदा सियासी संकट कांग्रेस का अंदरूनी मामला ज़्यादा लगता है. विश्लेषक इसे सचिन पायलट को उनकी सही जगह दिखाने की कोशिश भी मान रहे हैं.